अमृतांशी जोशी, भोपाल। मध्यप्रदेश में राज्य सूचना आयोग (State Information Commission) के आदेश पर एमपी (MP) के एसोसिएशन बंट गए हैं। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन (Private School Association) ने राज्य सूचना आयोग के आदेश का विरोध किया। सूचना आयोग के आदेश को एसोसिएशन कोर्ट (Court) में चैलेंज करेगा।

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह ने कहा कि राज्य सूचना आयोग ने नियम विरुद्ध जाकर काम किया है। नियमावली में साफ लिखा हुआ है कि ऐसे स्कूल जो सरकार से किसी तरह पोषित नहीं होते ना ही अनुदान पाते हैं ना सरकार से जमीन ली है। ऐसे संस्थाएं सूचना अधिकार नियम के अंतर्गत नहीं आते हैं। देश में संभावित मध्यप्रदेश में ही ऐसा पहला ऑर्डर निकला है। इस ऑर्डर का हम सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे

वहीं राज्य सूचना आयोग के आदेश पर पालक संघ (parents association) ने समर्थन किया है। पालक संघ के अध्यक्ष कमल विश्वकर्मा ने कहा है कि राज्य सूचना आयोग द्वारा जिस तरह निर्देश दिया है, कि निजी स्कूलों की मान्यता पर आरटीआई (RTI) के तहत आना चाहिए ताकि मनमानी रुक सके। यह एक्ट 2005 में बना था लेकिन 18 साल बीत जाने के बाद भी अगर इस तरह के निर्देश निकालते हैं तो पालक महासंघ ने आयुक्त सरकार को धन्यवाद दिया है। पालक महासंघ ने मांग की है कि अकेले मान्यता ही क्यों, शिक्षा के क्षेत्र में जितने भी पहलू आते हैं उन सभी को आरटीआई के तहत होना चाहिए। ताकि अभिभावक अपने बच्चों के लिए निजी स्कूलों में फीस देता है तो उसका मौलिक अधिकार भी जानकारी लेने का है।

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शिक्षा विभाग को आदेश के जरिये राज्य सूचना आयोग ने नसीहत दी है। RTI की जानकारी को लेकर राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि शिक्षा विभाग भी अगर जानकारी नहीं देगा तो हमारे पास कार्रवाई करने के पर्याप्त अधिकार है। इस आदेश के जरिए पूरे सिस्टम को पारदर्शी बनाना प्रमुख उद्देश्य है। अगर शिक्षा विभाग में लागू हो गया तो प्राइवेट स्कूल भी पारदर्शी बनेंगे। इसमें विरोध करने की कोई वजह नहीं है। अगर विरोध कर रहे हैं तो जाहिर है कि कुछ काला पीला किया गया है। स्कूलों की मान्यता की लाइसेंसिंग अथॉरिटी शिक्षा विभाग है हम उनसे जवाब तलब कर सकते हैं। अगर आपने कुछ गलत नहीं किया तो आपको डर किस बात की है। मुख्य मकसद शिक्षा विभाग को बताना है कि वो अपना कामकाज पूरी तरह पारदर्शी करें।

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