रायपुर. प्रदेश के सभी नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाएं आसानी से मिल सके इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य शासन द्वारा चरणबद्ध ढंग से नये अस्पतालों के निर्माण की योजना बनाई गई है । इसी कड़ी में राज्य सरकार ने आम जनता को और भी ज्यादा बेहतर चिकित्सा सुविधाएं दिलाने के लिए छह स्थानों पर सार्वजनिक-निजी सहभागिता (पीपीपी) मॉडल पर सभी जरूरी सुविधाओं से परिपूर्ण सौ-सौ बिस्तरों का अस्पताल बनवाने का निर्णय लिया है, जहां गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाएं मिलेंगी।
स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर ने अधिकारियों को इन अस्पताल भवनों के निर्माण के लिए सभी तैयारियां युद्धस्तर पर सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं । यह भी निर्णय लिया गया है कि इन स्थानों पर पहले से चल रहे सरकारी अस्पताल और सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र यथावत चलते रहेंगे और उनमें प्राथमिक स्तर की चिकित्सा सेवाएं मरीजों को मिलती रहेंगी। पीपीपी मॉडल पर नये अस्पताल भवनों का निर्माण रायपुर, मठपुरैना (रायपुर), खुर्सीपार (भिलाई नगर), कुरूद (जिला-धमतरी), भाटापारा (जिला-बलौदाबाजार) और मनेन्द्रगढ़ (जिला-कोरिया) में किया जाएगा।
विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं उपलब्ध नहीं
स्वास्थ्य सेवाओं की संचालक रानू साहू ने आज यहां बताया कि इन स्थानों पर जमीन का चयन कर लिया गया है। नये बनने वाले 100-100 बिस्तरों के अस्पतालों में मरीजों को विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाएं मिलेंगी। इनका निर्माण बिल्ट, ऑपरेट, ओन एण्ड ट्रांसफर (ठव्व्ज्) आधार पर किया जाएगा। एक निश्चित अवधि के बाद ये अस्पताल राज्य सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग को हस्तांतरित कर दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि आम जनता के व्यापक हित में कई कारणों से सरकार ने पीपीपी मॉडल पर नये अस्पताल बनवाने का निर्णय लिया है।
वर्तमान में प्रदेश के बड़े शहरों जैसे रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, रायगढ़, अम्बिकापुर और जगदलपुर आदि के अलावा अन्य स्थानों पर सरकारी अथवा निजी क्षेत्र में जरूरतमंद मरीजों को विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर संभव प्रयास भी किए जा रहे हैं। पीपीपी मॉडल के नये अस्पतालों के लिए चयनित स्थानों पर वर्तमान में चल रहे सरकारी अस्पतालों में प्राथमिक स्तर की सुविधाएं तो मरीजों को दी जा रही हैं, लेकिन उनमें सरकार के निरंतर प्रयासों के बावजूद विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो पाए हैं। इसके अलावा इन इलाकों में विगत कुछ वर्षों में जनसंख्या में भी काफी बढ़ गई है। आबादी बढ़ने के अनुपात में वहां स्वास्थ्य सुविधाओं का भी अपेक्षित विस्तार जरूरी हो गया है।
खर्च भी अधिक लगता था..
रानू साहू ने बताया कि विशेषज्ञ चिकित्सकों के नहीं होने के कारण इन क्षेत्रों के मरीजों को इलाज करवाने के लिए जिला अस्पतालों, मेडिकल कॉलेज अस्पतालों अथवा दूर-दराज के प्राईवेट अस्पतालों में जाना पड़ता है। उन्हें आने-जाने में खर्च और समय भी अधिक लगता है। मरीजों और उनके परिवारों की इन समस्याओं को देखते हुए राज्य सरकार ने उनके घरों के निकटवर्ती स्थानों पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाओं और आधुनिक चिकित्सा उपकरणों से सुसज्जित सौ-सौ बिस्तरों के नये अस्पताल शुरू करने का फैसला किया है।