रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने बिहार में शराब बंदी की समीक्षा के वादे को लेकर कांग्रेस के घोषणा पत्र पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को सिर्फ सत्ता चाहिये। कुर्सी के लिये कांग्रेस के नेता किसी भी हद तक जा सकते हैं। छत्तीसगढ़ में शराब बंदी का वादा करने वाली कांग्रेस ने सत्ता में आते ही पूरे छत्तीसगढ़ में गंगाजल की झूठी कसमें खा कर शराब की नदी बहाने, होम डिलीवरी तक करने का काम किया हैं। वही इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए बिहार चुनाव में सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने शराब बंदी की समीक्षा करने का वादा किया है, जिसका सीधा अर्थ हैं कि कांग्रेस शराब माफ़िया के हाथ की कठपुतली हैं और उन्हीं के इशारे पर कार्य कर रही है। तभी छत्तीसगढ़ में शराब की नदी बह रही है और बिहार, जहां नीतीश सरकार ने शराबबंदी कर रखी है। बिहार में शराबबंदी से माताएं-बहनें सुकून से हैं, उस बिहार में शराब बंदी ख़त्म करने की बात कर कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस का हाथ शराब माफियाओं के साथ है। औऱ वे चुनाव जीतने सीधे सीधे शराब का प्रलोभन दे रही है। बिहार की जनता से कह रहे हैं कि तुम कांग्रेस को वोट दो कांग्रेस तुम्हें शराब देगी।

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि बिहार में शराबबंदी की समीक्षा के आड़ में मतदाताओं को शराब का प्रलोभन देने वाली कांग्रेस आखिर मान क्यों नहीं लेती की वर्षों से ऐसे ही प्रलोभन के बूते कांग्रेस पहले सत्ता हथियाने और वर्षों तक देश को बर्बादी की राह में धकेलने का काम करती रही हैं। उन्होंने सीएम भूपेश बघेल को चुनौती देते हुए कहा कि यदि हिम्मत है तो बिहार की जनता को बताएं कि शराबबंदी के नाम पर कैसे झूठे वादे किए थे। कैसे कमिटी-कमिटी का खेल शराब बंदी के नाम पर छत्तीसगढ़ में खेला जा रहा है। भूपेश बघेल बिहार और छत्तीसगढ़ की जनता के सामने यह स्वीकार करने का साहस दिखाएं कि कैसे शराब माफिया की कठपुतली बन कर कांग्रेस खेल रही हैं। उन्होंने कांग्रेस से पूछा है कि कहीं बिहार चुनाव का फंड शराब माफियाओं से एकत्रित करने और शराब के काले धन से चुनाव लड़ने कांग्रेस ने शराब बंदी की समीक्षा की बात तो नहीं की हैं? इस बात की पूरी-पूरी संभावना इसलिए भी है क्योंकि छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार शराब माफियाओं के सहारे ही चल रहीं है और बिहार में चुनावी फंड जुटाने, कांग्रेस समीक्षा के नाम पर भविष्य में शराब की नदियां बहाने की ओर अग्रसर होने शायद कोई एमओयू शराब माफियाओं के साथ कर बिहार चुनाव में उतरी है!