नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा बाद विपक्षी दलों ने इसे किसानों की बड़ी जीत बताते हुए इसे हठधर्मिता की हार बताया है. प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को देश के नाम अपने संबोधन में कहा कि उनकी सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला करती है. उन्होंने कहा कि इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया को शुरू करेंगे.
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दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा प्रकाश पर्व पर मिली बहुत बड़ी खुशखबरी
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि आज प्रकाश दिवस के दिन कितनी बड़ी खुशखबरी मिली. तीनों कानून रद्द कर दिया गया. उन्होंने कहा कि आंदोलन में 700 से ज्यादा किसान शहीद हो गए. उनकी शहादत अमर रहेगी. आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी कि किस तरह इस देश के किसानों ने अपनी जान की बाजी लगाकर किसानी और किसानों को बचाया था. मेरे देश के किसानों को मेरा नमन !
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आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि भारत के अन्नदाता किसानों पर एक साल तक घोर अत्याचार हुआ. सैकड़ों किसानों की शहादत हुई. अन्नदाताओं को आतंकवादी कहकर अपमानित किया गया. इस पर प्रधानमंत्री मौन क्यों रहे ? देश समझ रहा है कि चुनाव में हार के डर से तीनों कानून वापस हुए. गौरतलब है कि पीएम मोदी ने कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में कानून वापस लेने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. उन्होंने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील भी की है.
जानिए क्या था तीनों कृषि कानून, जिसे रद्द किया गया ?
1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020- The Farmers Produce Trade and Commerce (promotion and facilitation) Act, 2020- सरकार का कहना था कि वह किसानों की उपज को बेचने के लिए विकल्प को बढ़ाना चाहती है. किसान इस कानून के जरिए अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे. निजी खरीदारों से बेहतर दाम प्राप्त कर पाएंगे, लेकिन सरकार ने इस कानून के जरिए एपीएमसी मंडियों को एक सीमा में बांध दिया. इसके जरिए बड़े कॉरपोरेट खरीदारों को खुली छूट दी गई. बिना किसी पंजीकरण और बिना किसी कानून के दायरे में आए हुए वे किसानों की उपज खरीद-बेच सकते थे.
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2. कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 (The Farmers Empowerment and Protection Agreement on Price Assurance and Farm Services Act, 2020)- इसके बारे में सरकार का कहना था कि वह किसानों और निजी कंपनियों के बीच में समझौते वाली खेती का रास्ता खोल रही है. इसे सामान्य भाषा में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कहते हैं. आपकी जमीन को एक निश्चित राशि पर एक पूंजीपति या ठेकेदार किराए पर लेता और अपने हिसाब से फसल का उत्पादन कर बाजार में बेच देता. यह किसानों को बंधुआ मजदूर बनाने की शुरुआत जैसा थी.
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3. आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020 (The Essential Commodities (Ammendment) Act 2020)- इसके मुताबिक, अब कृषि उपज जुटाने की कोई सीमा नहीं होगी. उपज जमा करने के लिए निजी निवेश को छूट होगी. सरकार को पता नहीं चलेगा कि किसके पास कितना स्टॉक है और कहां है? इससे जमाखोरी और कालाबाजारी को बढ़ावा मिलता. सरकार का कहना था इससे आम किसानों को फायदा ही तो है. वे सही दाम होने पर अपनी उपज बेचेंगे, लेकिन हम ये भी जानते हैं कि देश के अधिकांश किसानों के पास भंडारण की सुविधा नहीं है, क्योंकि हमारे यहां 80% छोटे और मझोले किसान हैं.
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