नई दिल्ली . सुप्रीम कोर्ट से ने सोमवार को स्पष्ट किया कि पात्र पेंशनरों को 28 फरवरी 2024 तक यानी 11 माह में बकाया भुगतान का आदेश दिया है. कोर्ट ने वन रैंक-वन पेंशन (OROP) के भुगतान के मामले में कोर्ट में पेश किए गए सीलबंद लिफाफे को स्वीकार करने से मना कर दिया.

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष मामला जब सुनवाई के लिए उठाया गया तो अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने एक सीलबंद लिफाफा पेश किया. पीठ ने अस्वीकार्य बताया और कहा कि इसे दूसरे पक्ष के साथ साझा किया जाना है. जब अटॉर्नी जनरल ने कहा कि यह गोपनीय है, इसमें कुछ संवेदनशील सूचनाएं हैं. एजी ने नोट पढ़ा जिसमें कहा गया था कि बजट परिव्यय खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है. पेंशनरों की कुल संख्या लगभग 25 लाख है और ओआरओपी बकाया 28,000 करोड़ रुपये की सीमा में होगा. 2022-23 के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के लिए बजटीय परिव्यय 5.85 लाख करोड़ था, जिसमें से 1.32 लाख करोड़ रुपये पेंशन के लिए नियोजित व्यय है. 2022-23 के लिए फरवरी 2023 तक 1.2 लाख करोड़ की राशि पहले ही वितरित की जा चुकी है. 28,000 करोड़ रुपये, जो 2019-2022 के लिए ओआरओपी बकाया से संबंधित है, एक अतिरिक्त घटक है.

केंद्र सरकार ओआरओपी योजना के संदर्भ में इस न्यायालय के फैसले का पालन करने के लिए बाध्य है. साथ ही भुगतान के लिए समय-सीमा तय करते समय, जो सामग्री रिकॉर्ड पर रखी गई है, उसका समय-सीमा के अनुपालन के संबंध में महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है. केंद्र सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि 25 लाख में से 4 लाख ओआरओपी के लिए योग्य नहीं हैं. जिन पेंशनभोगियों को ओआरओपी पेंशन का भुगतान किया जाना है, उनकी कुल संख्या 21 लाख पेंशनभोगियों की श्रेणी में आती है. 21 लाख में से परिवार पेंशनरों और वीरता पुरस्कार विजेताओं सहित 6 लाख पेंशनरों को संपूर्ण बकाया राशि का भुगतान करने के लिए संघ ने अंडर टैकिंग दिया है. ऐसा वर्गीकरण इस बात को ध्यान में रखते हुए किया गया है कि पारिवारिक पेंशनभोगियों ने कमाऊ सदस्य खो दिए हैं, और वीरता पुरस्कार विजेताओं ने राष्ट्र की उत्कृष्ट सेवा की है. संघ ने यह भी प्रस्ताव दिया कि 70 वर्ष से अधिक आयु के पेंशनभोगियों (लगभग 4 लाख) को 4-5 महीने की सीमा के भीतर देय राशि का भुगतान किया जाएगा. शेष समूह के लिए एरियर का भुगतान तीन किस्तों में मार्च 2024 तक किया जाएगा.