अजयारविन्द नामदेव, शहडोल। मध्य प्रदेश के शहडोल में आजादी के 75 साल बाद भी कई जगहों पर एक अच्छा सरकारी स्कूल नसीब नहीं हो पा रहा है। बच्चे जर्जर स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर है। ताजा मामला जिले के जनपद पंचायत गोहपारू के शासकीय माध्यमिक विद्यालय भुरसी से सामने आया है। जहां स्कूल के अंदर बच्चे बारिश के दिनों में छतरी लेकर क्लास में पढ़ाई करने को मजबूर हैं, क्योंकि बारिश होने पर छत से पानी टपकता है।

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यहां स्कूल की छत जर्जर हो चुकी है और बारिश के दिनों में छत से लगातार पानी टपकता है। इसलिए बच्चे खुद ही घर से छतरी और बरसाती लेकर आते हैं। स्कूल के हालात इतने खराब है कि छत टपक रही, छत के प्लास्टर गिर रहा है, यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।    इसलिए ज़्यादातर माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजने से डरने लगे हैं।  

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शहड़ोल जिले में सीएम राइज स्कूल खोलकर निजी शिक्षण संस्थाओं को टक्कर दिए जाने की बात कही जा रही है। जिसके लिए करोड़ों रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है। वहीं जिले में आज भी कई ऐसे स्कूल हैं जो न सिर्फ जर्जर हैं बल्कि उनमें  जरूरी सुविधाओं का अभाव है। बारिश के मौसम में छात्रों को छाता लगाकर पढ़ाई करना पड़ रहा है। स्कूल कभी भी गिरने की स्थिति में है। ऐसे में अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से भी डर रहे हैं। 

जिले के कई विद्यालयों के भवन जर्जर हो चुके हैं। बारिश में छत से पानी टपकता रहता है। दीवारों में दरारें हैं, छत से टूटी पटिया लटक रही है। ऐसे में जान हथेली पर रखकर बच्चे पढ़ाई करने को विवश हैं। यह आलम तब है जब मिशन कायाकल्प के तहत स्कूलों को हाईटेक और मॉडर्न बनाने का दावा किया जा रहा है। 

    

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