कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। यूं तो प्रदेशभर में माफियाओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई का दावा किया जा रहा है। लेकिन माफियाओं की बढ़ती सक्रियता विशेषकर भू-माफियाओं का मकड़जाल उन दावों पर सीधे सवाल खड़ा करता है। भू-माफिया उन गरीबों को तो निशाना बना ही रहे है जो खुद के आशियानें का सपना देखते हैं। इसके साथ वह अब सरकार के खजाने पर भी डांका डाल रहे है। और सरकारी जमीन पर कब्जे का सारा खेल नोटरी के माध्यम से किया जा रहा है। ग्वालियर में सरकारी जमीन पर कब्जे की देखिये ये खास रिपोर्ट….
स्क्रीन पर दिख रही यह दोनो तस्वीर भू-माफियाओं से जुड़ी हुई है। एक तस्वीर में भू-माफिया द्वारा बेची गयी सरकारी जमीन है। दूसरी तस्वीर उनके द्वारा बेची गयी सरकारी जमीन पर से प्रशासन द्वारा कब्जा छुड़ाने की है। लेकिन आखिर यह भू-माफिया बिना किसी ख़ौफ़ के कैसे सरकारी जमीनों को खुर्दबुर्द कर बेच देते है। यह सवाल सभी के जेहन में उठता है। वहीं इस मामले में ग्वालियर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ( Gwalior Collector Kaushlendra Vikram Singh) का साफ तौर पर कहना है कि सरकारी जमीन के अलावा किसी भी अन्य निजी जमीन पर भु माफियाओं द्वारा डाले जा रहे डाके के जरिए जो लूट जनता से की जा रही है इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
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ग्वालियर में इन दिनों पुलिस और प्रशासन के पास दर्जनों ऐसी शिकायतें पहुंच रही है जिनमें भू माफियाओं द्वारा उन्हें सस्ते में जमीन और प्लॉट देने का झांसा दिया गया, बाकायदा उस स्थान की नोटरी करवाई गई और भविष्य में जल्द रजिस्ट्री करवाने की बात कहीं, लेकिन जब उनके द्वारा स्थान पर निर्माण की कार्यवाही करना चाही गई तो पाया गया कि वह जमीन अन्य लोगों को भी बेची गयी है। साथ ही जिस जमीन को उन्होंने खरीदा है वह सरकारी है ऐसे में प्रशासन द्वारा उस स्थान पर कब्जा लेते हुए कुछ निर्माणाधीन तो कुछ नींव भरने जा रहे मकानों को जमींदोज कर दिया गया है। ऐसे मैं आज उनके पास ना तो अपने आशियाने के लिए जमीन है और ना ही जीवन भर की जमा की गई पूंजी। क्योंकि उस पर भू माफियाओं द्वारा डाका डाल लिया गया। ग्वालियर में इन दिनों सबसे ज्यादा शिकायतें महाराजपुरा, बड़ागांव, सिकंदर कंपू, बीरपुर बांध, जनक ताल के आसपास का क्षेत्र, कैंसर पहाड़िया के साथ अन्य दर्जनों स्थानों से मिल रही है।
शिकायतों के बाद एक्शन में कलेक्टर
प्रशासन के पास पहुंच रही इन शिकायतों पर ग्वालियर कलेक्टर एक्शन में आया है। उन्होंने भू माफियाओं से जुड़ी हुई शिकायतों में पाया है कि माफिया कुछ नोटरी करने वाले अधिवक्ताओं के साथ मिलकर सरकारी जमीनों को बेच रहे हैं। ऐसे में पीड़ित व्यक्ति को जमीन का मालिकाना हक दिलाने के साथ लूटी गई रकम को वापस हासिल करवाने के लिए एडीएम के नेतृत्व में एक जांच दल गठित किया गया है, जो इस बात की जानकारी जुटा रहा है कि कैसे सरकारी जमीन को नोटरी के अलावा अन्य माध्यमों से खुर्द कर बेचा जा रहा है। ग्वालियर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह का साफ तौर पर कहना है कि सरकारी जमीन के अलावा किसी भी अन्य निजी जमीन पर भु माफियाओं द्वारा डाले जा रहे डाके के जरिए जो लूट जनता से की जा रही है इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
विशेष टास्क फोर्स बनाकर होगी कार्रवाईः एसपी
वहीं इस मामले में ग्वालियर एसपी अमित सांघी ( Gwalior SP Amit Sanghi) का भी कहना है कि बीते 1 साल में उनकी टीम द्वारा प्रशासन और शिकायतकर्ताओं के आधार पर दर्जनों की संख्या में भू माफियाओं से जुड़े हुए मामले दर्ज किए गए हैं। जिनमें दर्जनों बड़े भू माफियाओं को गिरफ्तार भी किया गया है जो आज जेल की सलाखों के पीछे हैं। जिन मामलों की जांच लंबित है उनके लिए एक विशेष टास्क फोर्स बनाई जा रही है जो जल्द ही ऐसे माफियाओं को सलाखों के पीछे पहुंचाएगी।
ये कहाना है उप महानिरीक्षक पंजीयन का
पुलिस प्रशासन तक पहुंच रही शिकायतों में एक खास बात यह भी नजर आई है कि नोटरी के जरिए इस काले खेल को अंजाम तक पहुंचाया जा रहा है। इसेक चलते लोग आसानी से विश्वास कर झांसे में आ जाते हैं और आखिरी में उन्हें मिलता है तो सिर्फ एक बड़ा फरेब। लिहाजा इस मामले में उप महानिरीक्षक पंजीयन क्षेत्र ग्वालियर यूएस बाजपेई का कहना है कि ₹100 रुपए से अधिक की किसी भी खरीदी और बिक्री के दौरान रजिस्ट्री कराने का ही एक मात्र प्रावधान है। जागरूकता के अभाव के चलते आसानी से भू माफियाओं के निशाने पर लोग आ जाते हैं और नोटरी को एक बड़ा दस्तावेज मान बैठते हैं जो ना तो न्यायालय में मान्य होगा और ना ही उनकी जमा पूंजी को वापस करा पाएगा।
यूएस वाजपेई का यह भी कहना है कि ऐसी जानकारियां उन तक पहुंच रही है कि नोटरी का दुरुपयोग किया जा रहा है जिसके चलते सरकारी खजाने पर सीधे डाका डाला जा रहा है। क्योंकि नियम अनुसार यदि उन जमीन और स्थान की रजिस्ट्री होती है तो उसके जरिए बड़ा राजस्व एकत्रित होता है। और इस दौरान इस बात की तस्दीक भी की जाती है कि जिन दस्तावेजों के आधार पर रजिस्ट्री का प्रयास किया जा रहा है उन दस्तावेजों की उपलब्धता किस स्तर की है और क्या वह सही है। ऐसे में यदि सीधे नोटरी कराने के कार्य पर प्रशासन निगाह रखें तो भू माफियाओं के इस मकड़जाल को फैलने से रोका जा सकता है।
कांग्रेस ने सरकार और पुलिस प्रशासन को आड़े हाथ लिया
इस मामले पर कांग्रेस ने सरकार और पुलिस प्रशासन को आड़े हाथ लिया है कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार का आरोप है कि आखिर कैसे भूमाफिया सरकारी जमीनों को बेच आम जनता को चूना लगा रहे हैं। ऐसे में सरकार को भू माफियाओं पर कार्रवाई करना चाहिए तो वहीं दूसरी ओर अपनी जमा पूंजी को गवाने वाले गरीब व्यक्ति को आशियाना बनाने उसी स्थान पर जमीन भी देनी चाहिए।
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