बेंगलुरु। यूं तो प्याज काटने पर आंखों से आंसू बहने लगते हैं लेकिन इन दिनों प्याज का नाम लेने मात्र से लोगों के आंखों में आंसू आ जा रहा है. जो प्याज कभी गरीबों को बमुश्किल नसीब होने वाले दो जून की सूखी रोटी खाने का सहारा होती थी अब वही प्याज मध्यम वर्गीयों की पहुंच से काफी दूर हो गई है. देश में इन दिनों प्याज की कीमतें आसमान छू रही हैं. आलम यह है कि इसके दाम ने अब दोहरा शतक लगा दिया है.
बेंगलुरु में प्याज के दाम अब 140 रुपये से लेकर 200 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं. प्याज के बेतहाशा बढ़ते दाम से न सिर्फ आम जनता परेशान है बल्कि यह प्याज अब छोटे-मझोले व्यापारियों को भी रुला रही है. कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि की वजह से इसकी बिक्री पर भी असर पड़ा है. बड़ी तादाद में लोग प्याज खाने से तौबा करने लगे हैं.
यह सिर्फ बेंगलुरु का ही नहीं बल्कि पूरे देश भर का यही हाल है. सरकार के नियंत्रण से बाहर हो चुकी महंगाई और प्याज के दाम संसद में भी गूंजने लगे हैं. हाल ही में प्याज को लेकर संसद में चली बहस के दौरान वित्त मंत्री के एक बयान की देशभर में जमकर आलोचना हुई थी. सोशल मीडिया में उनके बयान को लेकर मीम्स बनाए जा रहे थे. बीते बुधवार को एक सांसद ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से पूछा था कि क्या वह प्याज खाती हैं जिसकी कीमतें आसमान छू रही हैं. जिसके जवाब में वित्त मंत्री ने कहा था, ”मैं ऐसे परिवार से आती हूं, जिसमें प्याज और लहसुन नहीं खाया जाता.” उनके इस बयान की खूब आलोचना हुई थी. राहुल गांधी ने कहा था, ”कोई नहीं पूछ रहा कि आप प्याज खाती हैं या नहीं. आप वित्त मंत्री हैं और हम पूछ रहे हैं कि अर्थव्यवस्था क्यों संकट का सामना कर रही है. अगर आपने गरीब से गरीब व्यक्ति से भी पूछा होता तो आपको उचित जवाब मिल जाता.”
आपको बता दें देश में यह पहला मौका है जब प्याज या किसी और खाद्य पदार्थ में इस तरह से आश्चर्यजनक रुप से मूल्य वृद्धि हुई है.