अजय शर्मा भोपाल। पूरे भारत देश में इन दिनों राजनीति के कारण हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच धर्म को लेकर कट्टरता बढ़ती जा रही है। धर्म को लेकर दोनों समुदाय के लोगों के बीच दूरिया बढ़ रही है। दोनों समुदाय में प्रेम और सदभाव बढ़ाने की आवश्यकता है ऐसे में पढ़े लिखे उच्च शिक्षित कहे जाने वाले, वो भी कानून का विषय पढ़ाने वाले ही दोनों समुदाय के बीच आग लगाने का काम करे तो स्थिति क्या होगी इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में सामने आया है, जहां और कोई नहीं बल्कि शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय के 6 प्रोफेसर ही धार्मिक उन्माद फैला रहे थे।

मामला संज्ञान में आने के बाद कॉलेज प्रबंधन ने 6 प्रोफेसर को शैक्षणिक काम के लिए 5 दिनों के लिए मुक्त कर दिया है। इन प्रोफेसरों में अमीक खोखर, डॉ मिर्जा मोजिज बेग, डॉ फिरोज अहमद पीर, प्रो-सुहैल अहमद वाणी, प्रोफेसर मिलिंद कुमार गौतम और डॉ पूर्णिमा बीसे शामिल हैं। धार्मिक कट्टरता सामने आने के बाद कॉलेज के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा शिकायत की गई। अभाविप ने महाविद्यालय में धार्मिक कट्टरता एवं अन्य प्राध्यपकों द्वारा अनुशासनहीनता की शिकायत की थी। शिकायत की स्वतंत्र समिति द्वारा जांच की जाना है। अतः जांच प्रभावित न हो इसलिए उक्त 6 प्राध्यपकों को शैक्षणिक काम से 5 दिनों के लिए मुक्त किया गया है। नोटिस कॉलेज के प्राचार्य डॉ इनामुर्रहमान ने जारी किया है।

एबीवीपी के छात्रों ने कॉलेज के प्राध्यापकों पर लव जिहाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। कहा कि हिंदू लड़कियों को मुस्लिम लड़कों के साथ पार्क जाने के लिए दबाव बनाते हैं। अब नहीं जाने पर लड़कियों के नंबर कम करने की धमकी देते हैं। मामला सामने आने के बाद उच्च शिक्षा विभाग की अतिरिक्त संचालक ने मामले की जांच के आदेश दिये जिसके बाद कार्रवाई हुई। बताया कि गवर्नमेंट लॉ कॉलेज मामले में एलएलएम के थर्ड सेमेस्टर में पढ़ाई जाने वाली सामूहिक हिंसा पद्धति की किताब में हिंदू विरोधी लेख है। किताब के डॉक्टर फरहत खान ने लिखी है। किताब में हिंदू संप्रदायवाद को विध्वंसकारी बताया है।

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