रायपुर. मंदी के इस दौर में रिंग रोड 3 पर ज़मीन की कीमत कितनी होगी. आप बोलेंगे कम से कम 2 करोड़ रुपये एकड़. 2013 में जब ज़मीन की मांग कमज़ोर नहीं हुई थी, तब इसकी कीमत अगर आधी भी रही होगी तो इसकी कीमत कम से कम एक करोड़ रुपये प्रति एकड़ रही होगी. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के मौजूदा पीए और उस समय ओएसडी रहे ओपी गुप्ता की पत्नी कमला गुप्ता को यहां ये ज़मीन मात्र 6 लाख रुपये एकड़ की दर से 72 डिसमिल मिल गई थी. यानि करीब 13 रुपये वर्गफीट. उस वक्त छत्तीसगढ के किसी भी शहर में ज़मीन इतनी सस्ती नहीं थी. ये ज़मीन शंकर नगर के लवकुश से 27 जुलाई 2013 को खरीदी गई थी. ओपी गुप्ता एक नाबालिग के साथ यौन शोषण के मामले में फिलहाल जेल में हैं.

कुछ दिन पहले उन्होंने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से यहां उनकी पत्नी के नाम से खरीदी गई करीब 3 एकड़ ज़मीन पर कमर्शियल कांप्लेक्स, रिजार्ट और कॉटेज बनाने का लेआउट पास कराया था. दिलचस्प बात है कि विधानसभा के करीब 26 लाख रुपये में 3 एकड़ ज़मीन की रजिस्ट्री कराई थी. ये ज़मीन 2008 से 2013 के बीच खरीदी गई थी. पांच साल पहले इस ज़मीन का बाज़ार मूल्य करोड़ों में रहा होगा. फिर ये ज़मीनें कैसे ओपी गुप्ता को चंद लाख में मिल गए. इस बात की आशंका जताई जा रही है कि राजस्व बचाने के लिए ज़मीनें कम कीमत पर खरीदी दर्शाई गई होंगी.

ओपी गुप्ता की गिरफ्तारी के साथ उनके महात्वकांक्षी प्रोजेक्ट पर ग्रहण लग गया है. इस प्रोजेक्ट में बड़ा शादीघर बनाने की योजना थी. जिससे रोज़ाना लाखों रुपये का किराया आता. सूत्र बता रहे हैं कि इसके निर्माण के सामान का ऑर्डर विदेशों से किया गया था. जिसका एडवांस भी दे दिया गया था.

जिस ज़मीन पर ओपी गुप्ता की पत्नी का ये महंगा प्रोजेक्ट आने वाला था. उसे कमला गुप्ता के नाम से अलग-अलग समय खरीदा गया था. मार्च 2009 में उन्होंने बरौंदा, रायपुर के रहने वाले भुवनलाल साहू से 10 लाख 46 हज़ार रुपये में 0.091 हैक्टेयर ज़मीन खरीदी थी.

इससे पहले कमला गुप्ता ने 2008 में 8 लाख 55 हज़ार में बरौदा की ही रेखा, सुखबती, मेहतरीन और कलींद्री से करीब 1.92 एकड़ ज़मीन खरीदी थी. अगस्त 2009 में उन्होंने 2 लाख 87 हज़ार में 2175 वर्गफीट ज़मीन मनीष कक्कड़ से खरीदी थी.

इस तरह करीब 2.94 एकड़ जम़ीन उन्होंने चार बार में खरीदी. इस ज़मीन को लेकर उन्होंने दो बार लेआऊट पास कराया. पहली बार तब कराया था तब वे तात्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के ओएसडी थे. दूसरी बार उन्होंने इसे कांग्रेस के राज में पारित कराया. लेआऊट के मुताबिक इसमें दो कमर्शियल कांप्लेक्स बनने थे. बड़ा इलाका कार पार्किग के लिए छोड़ा गया था. यहां करीब 216 कारें खड़ी होने की योजना बनाई गई थी.