PM Modi On Operation Sindoor In Parliament Monsoon Session: पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को संसद के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान कांग्रेस (Congress) पर तीखे हमले किए। इस दौरान पीएम मोदी ने शायराना अंदाज में शब्दों के बाण कांग्रेस पर छोड़े। प्रधानमंत्री ने अक्साई चिन, सिंधु जल संधि, PoK, करतारपुर साहिब का जिक्र करते हुए चुन-चुनकर कांग्रेस की गलतियां गिनाईं।

प्रधानमंत्री ने मंगलवार को लोकसभा में अपने भाषण के दौरान कहा कि कांग्रेस हमारी विदेश नीति और ​कूटनीति पर सवाल उठा रही है, मैं उनकी सरकारों की डिप्लोमेसी और फॉरेन पॉलिसी के कुछ उदाहरण देना चाहता हूं। पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की सरकारों ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से बार-बार समझौता किया है। उन्होंने कच्चातिवु द्वीप, पीओके, अक्साई चीन और करतारपुर साहिब पर चुन-चुनकर कांग्रेस की गलतियां गिनवाईं।

लम्हों ने खता की, सदियों ने सजा पाई: PM मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने तीखी टिप्पणियों की एक श्रृंखला में कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों द्वारा लिए गए कुछ ऐतिहासिक निर्णयों के दीर्घकालिक परिणाम हुए हैं, जिनमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) को पुनः प्राप्त करने के अवसर चूकना, अक्साई चीन को बंजर भूमि बताकर चीन के हवाले कर देना और सिंधु जल संधि के तहत भारत के जल अधिकारों का पाकिस्तान के समक्ष आत्मसमर्पण करना शामिल है।

पीएम मोदी ने कहा, ‘जब भी मैं पंडित नेहरू की चर्चा करता हूं, तो कांग्रेस और उसका पूरा इकोसिस्टम बिलबिला जाता है। मुझे एक शेर याद आता है, लम्हों ने खता की, सदियों ने सजा पाई। आजादी के बाद जो फैसले लिए गए, उनकी सजा देश आज तक भुगत रहा है। कांग्रेस के नेता पूछ रहे हैं कि मैंने पीओके वापस क्यों नहीं लिया? और वे इसकी उम्मीद भी मुझी से कर सकते हैं, लेकिन इसका जवाब पहले सवाल पूछने वालों को ही देना होगा।

करतारपुर साहिब वापस भी नहीं ले सकी कांग्रेस

उन्होंने पूछा, ‘किसकी सरकार ने पीओके को वापस लेने का मौका छोड़ दिया। अक्साई चिन को बंजर जमीन करार देकर किसने चीन को सौंप दिया? 1971 की जंग के बाद पाकिस्तान के 93 हजार फौजी हमारे पास बंदी थे और उसका हजारों वर्ग किलोमीटर क्षेत्र हमारी सेना के कब्जे में था। हम आसानी से पीओके वापस ले सकते थे, लेकिन यह मौका गंवा दिया गया। पीओके छोड़िए ये करतारपुर साहिब को वापस ले सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ये थी कांग्रेस के सरकारों की दूरदृष्टि और डिप्लोमेसी।

सिंधु जल संधि को नेहरू की सबसे बड़ी भूल बताते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में कहा, ‘जो नंदियां भारत से होकर बहती हैं, पंडित नेहरू ने सिंधु जल संधि के तहत उन नदियों का 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान को देने पर सहमति जताई। भारत सिर्फ 20 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल कर सकता था। इस फैसले ने जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों को अभूतपूर्व जल संकट की ओर ढकेल दिया। इतना ही नहीं, भारत के हिस्से का पानी पाकिस्तान को देर नेहरू ने नहर बनाने के लिए उसे धन भी दिया था।

खून और पानी एकसाथ नहीं बह सकते: PM मोदी

पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि एनडीए सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ‘खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते’ और सिंधु जल संधि को तब तक निलंबित रखने का फैसला किया है, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना नहीं बंद कर देता। 
उन्होंने कहा कि 1960 के दशक के आरंभ में कांग्रेस नेता शांति के नाम पर पुंछ, उरी, नीलम घाटी और किशनगंगा जैसे क्षेत्रों को पाकिस्तान के लिए छोड़ने को तैयार थे।

प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पार्टी पर 1966 के संघर्ष के दौरान कच्छ के रण पर समझौता करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता को लगभग स्वीकार कर लिया था और कच्छ के रण में अपनी लगभग 800 किलोमीटर भूमि पाकिस्तान के लिए छोड़ने वाली थी। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि सिंधु जल संधि में मध्यस्थता के लिए विश्व बैंक से संपर्क करने का कांग्रेस सरकार का फैसला देश के साथ विश्वासघात था। उन्होंने कहा, ‘पानी हमारा, नदियां हमारी, लेकिन फैसला कौन करेगा? विश्व बैंक?’ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 1974 में श्रीलंका को कच्चातिवु द्वीप उपहार में दे दिया गया। आज तक हमारे मछुआरे भाई-बहनों को वहां परेशानी होती है, कई बार उनकी जान पर बन आती है।

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