शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव निरस्त हो चुका है और ओबीसी आरक्षण का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसे लेकर अगली सुनवाई 17 जनवरी को होनी है। इसी बीच मध्यप्रदेश पंचायत चुनाव ( Madhya Pradesh Panchayat Election) को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही (big news related to panchayat elections) है। मध्यप्रदेश में पंचायतों में नए सिरे से परिसीमन के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ( Panchayat and Rural Development Department) ने आदेश जारी कर दिया है। पंचायत विभाग ने सभी कलेक्टर को आदेश जारी किए है जिसमें ग्राम पंचायतों वार्ड प्रभारियों से जानकारी मांगी है। आदेश में कहा गया है कि क्षेत्र की जनसंख्या और भौगोलिक जानकारी 17 जनवरी तक दी जाए। वहीं परिसीन की प्रक्रिया 17 जनवरी से 25 फरवरी तक चलेगी।
सरकार 2014 की वोटर लिस्ट के हिसाब से परिसिमन कराने की तैयारी कर रही है। अगर ऐसा होता है तो एक बार फिर इस मुद्दे पर सियासी संग्राम देखने को मिल सकता है, क्योंकि कमलनाथ सरकार के समय 2019 में करवाए गया परिसिमिन खत्म हो जाएगा। साथ ही कांग्रेस सवाल उठा सकती है कि सात साल पूराने वोटर लिस्ट से परिसिमन कराने की क्या जरूरत है अभी की मतदाता सूची से परिसिमन क्यों नहीं करवाया जा रहा है।
मध्यप्रदेश पंचायत चुनाव को लेकर जबरदस्त नूराकुश्ती देखने को मिल रही है ।पहले सरकार ने 2014 के आरक्षण और परिसिमन के तहत चुनाव कराने का फैसला लिया था। जिसके बाद कुछ लोग इसको लेकर कोर्ट पहुंच गए। सभी का कहना था कि ये चुनाव पंचायत राज्य अधिनियम के खिलाफ है
कमलनाथ सरकार ने 2019 में किया था परिसीमन
बता दें कि 2019 में कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) ने पंचायतों में नए सिरे से परिसीमन और आरक्षण किया था। नवंबर महीने में एमपी पंचायत चुनाव (MP Panchayat Election) की तैयारियों के बीच शिवराज सरकार (Shivraj Government) ने पंचायतों में नया परिसीमन निरस्त कर दिया था। साथ ही सरकार ने मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) अध्यादेश 2021 लागू किया था। नया आदेश जारी होने के बाद जहां पिछले एक साल से चुनाव नहीं हुए ऐसे सभी जिले, जनपद या ग्राम पंचायतों में पुरानी व्यवस्था लागू हो गया था।
कमलनाथ सरकार ने लागू किया था नया परिसीमन
बता दें कि कमलनाथ सरकार ने सिंतबर 2019 में प्रदेश में जिले से लेकर ग्राम पंचायतों तक नया परिसीमन लागू किया था। जिसके बाद करीब 1200 नई पंचायतें बनी थीं और 102 ग्राम पंचायतों को समाप्त कर दिया था। इसके साथ ही 1950 की सीमा में बदलाव किए गए थे।
जानिए क्या होता है परिसीमन और क्यों किया जाता है
आबादी का सही प्रतिनिधित्व करने के लिए लोकसभा और विधानसभा सीटों के क्षेत्र को दोबारा से परिभाषित किया जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 82 में परिसीमन का उल्लेख है। ये आयोग को काम करने की शक्ति प्रदान करता है। हर 10 साल में एक बार देश की जनगणना होती है उसके बाद परिसीमन किया जाता है। रिपोर्ट की मानें तो लोकसभा का 1971 में और राज्य की विधानसभाओं का 2001 में जनसंख्या के आधार पर परिसीमन हुआ था। 1952 में परिसीमन होने के बाद 1963, 1973 और 2002 में परिसीमन किया गया था। अब 2026 में सभी राज्यों में परिसीमन प्रक्रिया होगी।
चुनावी प्रक्रिया को लोकतांत्रिक तरीके से करने के लिए परिसीमन जरूरी है। हर राज्य और जिले में जनसंख्या में बदलाव होते रहते हैं। इसको देखते हुए समान प्रतिनिधित्व हो इसलिए निर्वाचन क्षेत्र का पुनर्निधारण किया जाता है। परिसीमन प्रक्रिया का सबसे अहम हिस्सा है बढ़ती जनसंख्या के अनुसार निर्वाचन क्षेत्रों का विभाजन करना। चुनाव के दौरान ‘आरक्षित सीटों’ की बात करें तो परिसीमन किया जाता है। तब अनुसूचित वर्ग के हितों को ध्यान में रखने के लिए आरक्षित सीटों का भी निर्धारण दोबारा किया जाता है।
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