सत्यपाल राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ के औषधीय पौधों के सरंक्षण और पूर्व मूल्यांकन और प्राथमिक प्रबंधन को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया है. तीन दिवसीय कार्यशाला का आज पहला दिन था. छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड एवं फाउंडेशन फॉर रेवाइटलाइजेशन ऑफ लोकल हेल्थ ट्रेडिशन्स के सयुंक्त तत्वाधान में आयोजन किया गया है.

अरुण कुमार पांडेय मेंबर सेक्रेटरी छत्तीसगढ़ एस्टेट बायो डायवर्सिटी बोर्ड ने कहा सर्वे से 76 अलग-अलग प्रजातियों के औषधीय पौधों को लेकर बनी सूची में मंथन किया गया. मंथन के बाद तैयार लिस्ट को IUCM अंतरराष्ट्रीय संस्था को सूची भेजी जाएगी.

अरुण कुमार पांडेय ने बताया कि इस आयोजन के पीछे का मक़सद यह है कि जो छत्तीसगढ़ में मेडिसिन प्लांट हैं, वन औषधियां हैउनका एक असेसमेंट करना है, उनका थ्रेट लेबल क्या है ? बढ़ रही है ? घट रही है ? कि संकट के दौर से गुज़र रहे हैं ? इसके लिए एक संस्था को चुना गया है, जिसका नाम एफ़आरएलएसटी यह बैंगलोर के संस्था है और विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त है.

उन्होंने बताया कि पहले अपनी टीम बनाई उसके बाद छत्तीसगढ़ के जगह जगह कैंप किया. सभी को अलग अलग कैटेगरी में उनकी सूची बनाई गई और इसी को लेकर यह तीन दिवसीय मंथन का आयोजन किया किया जाएगा. इन प्रजातियों को भविष्य कैसे सुरक्षित रखना है. इसको लेकर चर्चा की जाएगी.

पिछले एक वर्ष से जो फ़ील्ड सर्वे हुआ उसके बाद 76 अलग अलग प्रजातियों की सूची आई है. इन प्रजातियों के अंतिम असेसमेंट करेंगे कि आगे इनको कैसे सुरक्षित किया जाए. तीन दिवसीय मंथन में इन जड़ी बूटियों के विकास एवं सुरक्षा को लेकर लिस्ट फ़ाइनल किया जाएगा. उसके बाद लिस्ट को IUCM अंतरराष्ट्रीय संस्था जो ऐसे प्रजातियों के लिस्टिंग करती है. यहां से जो तैयार लिस्ट हैं कि कौन सा संकट में है, कौन विलुप्त हो रहा है, कौन विकास कर रहा है फिर वो लिस्ट में शामिल किया जाएगा.

जब सर्वे के लिए एक साल पहले दिया गया था, तो सर्वे टीम छत्तीसगढ़ के ऐसे जगहों का सर्वे किया. जहां वन औषधि मौजूद हैं. वहां के स्थानीय लोगों से, वैद्यों से, फ़ॉरेस्टर के लोगों से बातचीत करके लिस्ट निकाली है.

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