History of Holi: होली का नाम सुनते ही हमारा मन रंगों, उत्साह और स्वादिष्ट व्यंजनों की सुगंध से भर जाता है. यह भारत के सबसे पुराने और प्रमुख त्योहारों में से एक है, लेकिन इसकी शुरुआत के बारे में कई तरह की कथाएँ प्रचलित हैं. इनमें से सबसे प्रसिद्ध हिरण्यकशिपु और प्रह्लाद की कहानी है, लेकिन इसके अलावा राधा-कृष्ण, शिव-पार्वती, कामदेव और राक्षसी वध से जुड़ी कथाएँ भी लोकप्रिय हैं.

ऐसा माना जाता है कि होली का त्योहार उत्तर भारत में विशेष रूप से ब्रज क्षेत्र (मथुरा, वृंदावन, बरसाना) में कृष्ण और राधा के प्रेम के प्रतीक के रूप में शुरू हुआ. धीरे-धीरे यह परंपरा पूरे भारत में फैल गई और आज यह एक प्रमुख सांस्कृतिक उत्सव बन चुका है. होली का सबसे पुराना और प्रसिद्ध पौराणिक संदर्भ भगवान कृष्ण और राधा से जुड़ा हुआ है.

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कृष्ण और राधा की होली (History of Holi)

कहा जाता है कि भगवान कृष्ण, जिनका रंग सांवला था, ने माता यशोदा से पूछा कि राधा और गोपियों का रंग गोरा क्यों है. इस पर माता यशोदा ने मजाक करते हुए कहा कि तुम्हें राधा को अपने जैसा चित्रित करना चाहिए. तब कृष्ण अपने मित्रों के साथ रंग तैयार कर राधा रानी को रंग लगाने ब्रज पहुंचे, वहीं से रंग भरी होली की परंपरा शुरू हुई. कृष्ण ने राधा और गोपियों के साथ रंग खेलना शुरू किया और इस तरह होली खेलने की परंपरा की शुरुआत हुई. वृंदावन और बरसाने में आज भी लट्ठमार होली इसी कथा से जुड़ी मानी जाती है.

हिरण्यकशिपु, प्रह्लाद और होलिका की कथा (History of Holi)

एक अन्य प्रमुख पौराणिक कथा हिरण्यकशिपु, उसकी बहन होलिका और भक्त प्रह्लाद से जुड़ी है. हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था. इससे क्रोधित होकर उसने अपनी बहन होलिका (जिसे अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था) के साथ मिलकर प्रह्लाद को जलाने की योजना बनाई. लेकिन भगवान की कृपा से होलिका जल गई और प्रह्लाद सुरक्षित बच गए. इस घटना की याद में होली का त्योहार मनाया जाता है, और होलिका दहन की परंपरा इसी कथा से जुड़ी हुई है.

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शिव और कामदेव की कथा (History of Holi)

एक अन्य कथा के अनुसार, जब भगवान शिव गहरे ध्यान में थे, तब माता पार्वती ने कामदेव से अनुरोध किया कि वे शिवजी का ध्यान भंग करें. कामदेव ने शिवजी पर प्रेम बाण चलाया, जिससे शिवजी का ध्यान टूटा, लेकिन क्रोधित होकर उन्होंने कामदेव को भस्म कर दिया. बाद में, कामदेव की पत्नी रति के आग्रह पर शिवजी ने उन्हें पुनर्जीवित किया. इस कथा से भी होली का प्रेम और उमंग भरा स्वरूप जुड़ा हुआ है.

कृष्ण ने पूतना का वध किया (History of Holi)

होली पर कृष्ण और उनके मामा कंस से जुड़ी कहानी भी लोकप्रिय है. दरअसल, कंस ने अपने भतीजे कृष्ण को मारने के लिए पूतना को भेजा था, जो बच्चों को ज़हर देकर मार रही थी. लेकिन कृष्ण को सच्चाई का एहसास हुआ और उन्होंने पूतना का वध कर दिया. कहा जाता है कि यह घटना फाल्गुन पूर्णिमा के दिन घटित हुई थी, इसलिए लोगों ने होली का त्योहार मनाने का निर्णय लिया.

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