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Paddy Crop: धान की फसल में बालियां और दाने बनने लगे हैं. कई क्षेत्रों में धान की फसल में भूरा तना मधुआ कीट का प्रकोप देखा जा रहा है. धान की फसल में कीट के आक्रमण को देखते हुए किसानों को सलाह दी जा रही है। कीट की रोकथाम के लिए कृषि विभाग से संपर्क में रहे। भूरा तना मधुआ कीट की रोकथाम के लिए अनुशंसित कीटनाशी का प्रयोग कर किसान धान की फसल को नुकसान से बचा सकते हैं।
किसान इस तरह करें भूरा मधुआ कीट की पहचान (Paddy Crop)
यह कीट हल्के–भूरे रंग के होते हैं जिनका जीवन चक्र 20–25 दिनों तक का होता है। इसके व्यस्क एवं शिशु दोनों पौधों के तने के आधार भाग पर रहकर रस चूसते हैं। अधिक रस निकलने की वजह से धान के पौधे पीले पड़ जाते हैं तथा जगह–जगह पर चटाईनुमा क्षेत्र बन जाता है, जिसे “हॉपर बर्न” कहते हैं। इस कीट का आक्रमण मौसम के उतार–चढ़ाव विशेषकर देर से हुई वर्षा के कारण भूमि में नमी तथा किसानों द्वारा यूरिया का अनुशंसित मात्रा से अधिक उपयोग एवं पोटाश का कम उपयोग के कारण होता है।
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किसान इस तरह करें भूरा मधुआ कीट का नियंत्रण (Paddy Crop)
इस समय यह कीट धान की खड़ी फसल को काफ़ी नुकसान पहुँचाता है, जिसका सीधा असर फसल के उत्पादन पर पढ़ता है और किसानों को काफ़ी आर्थिक नुकसान होता है। इसलिए इस कीट का उचित समय पर नियंत्रण करना आवश्यक है।
भूरा तना मधुआ कीट के लिए कीटनाशकों का प्रयोग करें
किसान धान की फसल में भूरा तना मधुआ कीट का नियंत्रण इन अनुशंसित कीटनाशकों की मदद से कर सकते हैं:- एसीफेट 75% डब्लू.पी. की 1.25 ग्राम प्रति लीटर,
एसिटामेप्रिड 20% एस.पी. 0.25 ग्राम प्रति लीटर,
इथोफेनोप्राक्स 10% ई.सी. 1 मिली. प्रति लीटर,
क्विनालफ़ॉस 25% ई.सी. 2.5 – 3 मिली. प्रति लीटर,
फिप्रोनिल 05% एस.सी. 2 मिली. प्रति लीटर की दर से छिड़काव कर सकते हैं।
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