रोहित कश्यप, मुंगेली। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी मुंगेली जिले में धान का उठाव अब तक नहीं हो पाया है. विपणन विभाग की लापरवाही का खामियाजा समितियों को भुगतना पड़ेगा, जहां धूप, बारिश और चूहों के बारदाना को कुतरने से धान पड़े-पड़े सड़ रहा है. समिति के सदस्य इस बात से चिंतित हैं कि अगर जल्द धान का उठाव नहीं हुआ तो शॉर्टेज की भरपाई कैसे करेंगे. इसे भी पढ़ें : कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता राधिका खेड़ा और संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद के बीच विवाद, वीडियो आया सामने

बता दे कि मुंगेली जिले के तकरीबन 83 उपार्जन केंद्रों में करीब 3 लाख 25 हजार क्विंटल धान खुले आसमान में पड़े हुए हैं, जिससे आने वाले दिनों में एक बार फिर शार्टेज की स्थिति बन रही है. इससे शासन को बड़े पैमाने पर आर्थिक रूप से नुकसान भी होगा, जिसके लिए जिम्मेदार कौन होगा बड़ा सवाल है?

समिति कर्मचारियों का कहना है कि सरकार द्वारा धान समर्थन मूल्य में किसानों की धान खरीदी 4 फरवरी तक की गई थी, जिसके बाद 28 फरवरी तक धान का उठाव हो जाना था. लेकिन महीनों बीतने के बाद भी जब समिति केंद्रों से धान का उठाव नहीं हुआ तो समिति केंद्र के सदस्यों ने हाईकोर्ट की शरण ली.

हाईकोर्ट ने 1 अप्रेल से 30 दिन के भीतर धान उठाव और निराकरण के लिए मार्कफेड को निर्दश दिया, लेकिन लापरवाही का आलम ऐसा कि हाईकोर्ट के निर्देशों के अंतिम दिन याने 30 अप्रैल गुजर जाने के बाद भी जिले में धान उठाव का कार्य पूर्ण नहीं हुआ है. जिम्मेदारों की लापरवाही का नतीजा है कि राज्य में धान उठाव के मामले में मुंगेली जिला प्रदेश में 31वें नंबर पर है.

कमीशन राशि में होगी कटौती

सहकारिता विभाग ARCS हितेश कुमार श्रीवास ने बताया कि जिले के 105 उपार्जन केंद्रों में करीब 55 लाख क्विंटल धान की खरीदी की गई. 22 उपार्जन केंद्रों में शत-प्रतिशत धान उठाव के साथ करीब 52 लाख क्विंटल धान का उठाव हो चुका है. अब जिन केंद्रों में धान रखा हुआ है, वहां धूप और चूहे की वजह से खराब होते जा रहे बारदाने से धान खराब हो रहा है. वहीं दूसरी ओर धान सूखत का भी खतरा है. इससे समितियों को शासन की ओर से मिलने वाली कमीशन राशि में कटौती हो सकती है.

क्या कह रहे हैं जिम्मेदार

धान उठाव का जिम्मा संभालने वाले DMO शीतल भोई का कहना है कि जिले के धान उपार्जन केंद्रों में रखे धान का डीओ कट चुका है. पड़ोसी जिलों से भी धान का उठाव किया जा रहा है. हालांकि, DMO साहब का यह जवाब पल्ला झाड़ लेने वाला हो सकता है, क्योंकि कायदे से 28 फरवरी तक धान का उठाव हो जाना था. यदि नहीं हुआ तो हाईकोर्ट के आदेश पर तो 1 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच में हो ही जाना था, लेकिन यह भी नहीं हो पाया है.