रायपुर। मासिक धर्म और उससे जुड़ी परेशानी, समस्याएं, पूर्वाग्रह और अंधविश्वास पर चोट करती फिल्म पैडमैन की रिलीज़ पर पाकिस्तान ने रोक लगा दी है. अब पड़ोसी देश के इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं. अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने कहा कि क्या मासिक धर्म और उससे जुड़े विषयों, उन दिनों की तकलीफों, उससे होने वाली समस्याओं पर बात करना, समस्याओं के निदान पर विचार और जागरुकता बढ़ाना किसी धर्म, किसी संस्कृति या फिर किसी समाज के खिलाफ हो सकता है.
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पाकिस्तान के सेंसर बोर्ड ने हिंदी फिल्म पैडमैन पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा है कि ये फ़िल्म पाकिस्तान की परम्पराओं और संस्कृति के खिलाफ है, इसलिए इसे रिलीज नहीं किया जा सकता है. सोचने की बात तो ये है कि सेंसर बोर्ड ने फ़िल्म को देखने की भी कोशिश नहीं की, सिर्फ फ़िल्म का नाम पैडमैन सुनकर ही अपना फैसला सुना दिया.
जबकि पैडमैन फ़िल्म मासिक धर्म और महिला स्वास्थ्य को लेकर जागरुकता बढ़ाने और भ्रांतियों को मिटाने के संदेश को लेकर एक वास्तविक पात्र अरुणाचलम मुरुगुनाथम के जीवन पर बनी है, जिन्होंने मासिक धर्म के समय महिलाओं की परेशानियों को समझा और अनेक वर्षों से किफायती सैनेटरी पैड बनाने में लगे हैं. वे गांव-गांव में इन सैनिटरी नैपकिन को वितरित कर रहे हैं, जिसने कई ग्रामीण अंचल की गरीब महिलाओं की जिंदगी बदल दी है.
यह फ़िल्म भारत सहित कई देशों में रिलीज हो चुकी है और इसे पसंद भी किया जा रहा है. इधर पाकिस्तान में फ़िल्म पर लगे इस प्रतिबंध का विरोध सार्वजनिक हस्तियों, महिला पत्रकारों केसाथ पाकिस्तान की आम महिलाएं भी कर रही हैं. उनका कहना है कि क्या पाकिस्तान में महिलाओं को मासिक धर्म नहीं होता या ये कोई छिपाने या वर्जना की बात है. महिलाओं की किसी शारीरिक प्रक्रिया, शरीर में होने वाले परिवर्तन आम जीवन में होने वाली किसी परेशानी, उसके हल और जागरुकता को लेकर कोई भी प्रयास होता है, तो निश्चित रूप से उसका स्वागत होना चाहिए न कि विरोध और प्रतिबंध.
डॉ दिनेश मिश्र का कहना है कि महिलाओं में मासिक धर्म एक सामान्य कुदरती प्रक्रिया है, पर इसे लेकर भी बहुत सारे अंधविश्वास और गलत रीति-रिवाज आज भी समाज में प्रचलित हैं. खासकर ग्रामीण अंचल में अशिक्षा और जागरुकता की कमी से इसे अपवित्र मानने की धारणा से बहुत सारी किशोरियों, नवयुवतियों को अस्वस्थ परम्पराओं का शिकार होना पड़ता है, जो कि सही नहीं है. ऐसे में जागरुकता बढ़ाने के प्रयास करने, किसी फिल्म के सामाजिक संदेश को समझने की बजाय उसे धर्म, समाज, संस्कृति के खिलाफ मानकर प्रतिबंधित करना अनुचित है.
बता दें कि फिल्म पैडमैन में मुख्य भूमिका अक्षय कुमार ने अभिनीत की है. इनके अलावा सोनम कपूर और राधिका आप्टो की भी अहम भूमिकाएं हैं.