कैलाश जायसवाल,रायपुर. पंडवानी कलाकार पद्मश्री पुनाराम निषाद के पुत्र संतोष निषाद ने संस्कृति विभाग पर कई गंभीर आरोप लगाये हैं.पुत्र का कहना है कि संस्कृति विभाग द्वारा भेदभाव किया जाता है. संतोष ने सोमवार को रायपुर में एक प्रेसवार्ता के दौरान बताया कि पद्मश्री स्व.पूनाराम निषाद की मृत्यु के बाद प्रतिमा स्थापना के लिए मुख्यमंत्री द्वारा 25000/-रूपये की आर्थिक मदद देने की बात कही गई थी लेकिन आज तक वह मदद नहीं मिल पाई है. संतोष का कहना है कि जब भी इस बात की शिकायत संबंधित अधिकारियों से की गई. तो वे अधिकारी मामले से किनारा करते नजर आये.
संतोष का यह भी आरोप है कि विभाग सांस्कृतिक कार्यक्रम देने में भी कलाकारों के साथ भेदभाव करता है. जो सांस्कृतिक कार्यक्रम उन्हें मिलना था, वह कार्यक्रम अधिकारियों द्वारा दूसरे कलाकारों को दे दिया जाता है और यही वजह है कि आज पद्मश्री स्व.पूनाराम निषाद के परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. आज यह पूरा परिवार एक एक दाने को मोहताज है.
संतोष के साथ प्रेसवार्ता में पहुंची लोक गायिका रमादत्त जोशी का कहना है कि संस्कृति विभाग द्वारा यदि कलाकारों के साथ ऐसा ही बर्ताव किया जाता रहा तो वे चुप नहीं बैठेगी. उन्होंने कहा की कलाकारों को उनका हक दिलाने के लिए यदि उन्हें सड़क पर भी उतरना पड़ा तो वे तैयार हैं और धरना प्रदर्शन के माध्यम से कलाकारों की इस मांग को सरकार तक पहुंचायेगीं.
ज्ञात हो कि स्व. निषाद छत्तीसगढ़ के पहले एेसे कलाकार हैं, जिन्होंने पंडवानी की वेदमती शैली को बड़े फलक पर पहचान दी. अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही वे देश के विभिन्न हिस्सों के अलावा विदेशों में भी इसकी प्रस्तुतियां दे चुके थे. दुर्ग जिला स्थित रिंगनी गांव के निवासी स्व. निषाद ने रंगकर्मी स्व. हबीब तनवीर के साथ थिएटर भी किया था. लोक कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए 2005 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान दिया था. निषाद का निधन 11 फरवरी 2018 को हो गया था. निषाद अपने पीछे एक भरा पूरा परिवार छोड़ गये थे जो आज भुखमरी की कगार पर है.