कई रिपोर्टों में ये बात सामने आने के बाद कि अमेरिका ने जानबूझकर पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ने दिया, अब दो राष्ट्राध्यक्षों की गोपनीय बातचीत में भी पाकिस्तान की बदमाशी चर्चा के केंद्र में पाई गई है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तत्कालीन अमेरिका राष्ट्रपति जॉर्ज बुश को 2001 में बता दिया था कि पाकिस्तान ने चोरी से ईरान को यूरेनियम दिया है। दोनों नेताओं ने इसे अपने-अपने देश के लिए खतरा बताया था। पुतिन ने कहा था कि पाकिस्तान असल में एक सैन्य शासन यानी जुंटा है, जिसके पास परमाणु हथियार हैं। यह कोई लोकतांत्रिक देश नहीं है।

Image

बुश और पुतिन के बीच 2001 से 2008 तक हुई बैठकों और टेलीफोन बातचीत के ट्रांसक्रिप्ट सार्वजनिक कर दिए गए हैं, जिनसे अमेरिका और रूस संबंधों का पता चलता है। ये दस्तावेज अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी आर्काइव ने सूचना के अधिकार कानून के तहत जारी किए हैं। इन खुलासों के बीच भारत की चिंताएं भी सामने आ गई हैं। भारत लंबे समय से पाकिस्तान के परमाणु प्रसार रिकॉर्ड पर सवाल उठाता रहा है। नवंबर 2025 में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि पाकिस्तान का इतिहास तस्करी, अवैध परमाणु गतिविधियों और एक्यू खान नेटवर्क से जुड़ा रहा है।

दोनों नेताओं के बीच क्या हुई थी बात ?

परमाणु नियंत्रण को लेकर गहरी चिंता नेशनल सिक्योरिटी आर्काइव द्वारा जारी किए गए रिकार्ड में सामने आया है कि बंद दरवाजों के पीछे वाशिंगटन और मास्को पाकिस्तान के परमाणु नियंत्रण को लेकर गहरी चिंता साझा कर रहे थे। 29 सितंबर 2005 को ओवल आफिस में हुई बैठक में पुतिन ने बताया कि ईरानी सेंट्रीफ्यूज में मिला यूरेनियम पाकिस्तान से जुड़ा है, जो इस्लामाबाद के परमाणु प्रतिष्ठान और अवैध नेटवर्क के बीच लंबे समय से संदिग्ध रिश्तों की पुष्टि करता है। ये जानकारी पाकर बुश सन्न रह गए थे और इसे चिंताजनक उल्लंघन बताया था। बुश ने कहा कि इससे अमेरिका में घबराहट है।

पुतिन ने पलटकर कहा, “हमारे बारे में भी सोचिए,” यह संकेत देते हुए कि ऐसे लीक रूस की सुरक्षा के लिए भी सीधा खतरा हैं। पुतिन के मुताबिक, इसके बावजूद पश्चिमी देश पाकिस्तान की आलोचना नहीं करते, जो चिंता की बात है। उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे पर खुलकर चर्चा होनी चाहिए। दोनों नेता पाकिस्तान के अंदरूनी हालात, राजनीतिक अस्थिरता और परमाणु कमांड सिस्टम को लेकर चिंतित थे। उन्हें डर था कि अगर हालात बिगड़े तो परमाणु तकनीक गलत हाथों में जा सकती है।

बातचीत में बुश ने स्वीकार किया कि उन्होंने तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के सामने यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि ए.क्यू. खान नेटवर्क का पर्दाफाश होने के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान पर दबाव बनाया, जिसके चलते खान और उनके सहयोगियों को जेल या नजरबंद किया गया। हालांकि बुश ने यह भी कहा कि अमेरिका अब भी यह जानना चाहता है कि आखिर क्या-क्या तकनीक किसे सौंपी गई। पुतिन ने सवाल उठाया कि पाकिस्तान पर उतना अंतरराष्ट्रीय दबाव क्यों नहीं डाला गया जितना ईरान या उत्तर कोरिया पर।

अब जानिए एक्यू खान नेटवर्क क्या था

एक्यू खान नेटवर्क एक गुप्त अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क था, जिसके जरिए पाकिस्तान की परमाणु तकनीक और उपकरण चोरी-छिपे दूसरे देशों तक पहुंचाए गए। इस नेटवर्क के केंद्र में डॉ. अब्दुल कादिर खान (एक्यू खान) थे, जिन्हें पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम का जनक माना जाता है। एक्यू खान ने यूरेनियम संवर्धन से जुड़ी अहम जानकारी, सेंट्रीफ्यूज की तकनीक और परमाणु उपकरण ईरान, उत्तर कोरिया और लीबिया जैसे देशों को बेचे या मुहैया कराए। साल 2004 में यह नेटवर्क दुनिया के सामने आया, जिसके बाद एक्यू खान ने टीवी पर आकर अपनी गलती स्वीकार की। हालांकि उन्हें पाकिस्तान में जेल की बजाय नजरबंद रखा गया। इस नेटवर्क को अब तक दुनिया के सबसे बड़े परमाणु घोटालों में से एक माना जाता है।

बता दें कि, 7 से 10 मई के बीच हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद 15 मई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी पाकिस्तान को गैर-जिम्मेदार देश बताते हुए उसके परमाणु हथियारों को IAEA की निगरानी में रखने की मांग की थी।

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m