हनुमान जी को संकटमोचन कहा गया है, लेकिन जब जीवन में विशेष प्रकार की जटिलताएँ उत्पन्न होती हैं—जैसे तांत्रिक बाधाएँ, कालसर्प दोष, शत्रु की प्रबलता या गहन मानसिक अशांति—तो पंचमुखी हनुमान जी का विशेष व्रत अत्यंत प्रभावी माना जाता है.

यह व्रत सामान्य मंगलवार के उपवास से भिन्न होता है और इसमें हनुमान जी के पाँचों मुखों की आराधना की जाती है. हर मुख एक दिशा और विशेष शक्ति का प्रतीक होता है.

Also Read This: पुरी में भगवान जगन्नाथ का स्नान पूर्णिमा उत्सव शुरू, दोपहर 2 बजे तक सार्वजनिक दर्शन बंद

हनुमान जी के हर मुख की अपनी विशेषता

  • वानर मुख (पूर्व दिशा): शत्रु विनाश और साहस का प्रतीक
  • नरसिंह मुख (दक्षिण दिशा): तांत्रिक बाधाओं का नाशक
  • गरुड़ मुख (पश्चिम दिशा): सर्प दोष से रक्षा
  • वराह मुख (उत्तर दिशा): संपत्ति संबंधी विवादों से मुक्ति
  • हयग्रीव मुख (ऊर्ध्व दिशा): विद्या, ध्यान और मानसिक शांति प्रदान करता है

व्रत कब और कैसे करें?

इस व्रत की शुरुआत मंगलवार या शनिवार से की जाती है. यह व्रत 11, 21 या 31 मंगलवार तक किया जा सकता है. व्रत के दिन पंचमुखी हनुमान जी की विशेष पूजा, पंचमुखी हनुमान कवच का पाठ, हनुमान चालीसा, और बजरंग बाण का जाप किया जाता है. भोग में चूरमा लड्डू, गुड़, और केले अर्पित कर, दिन में एक बार फलाहार लिया जाता है.

व्रत का समापन कैसे करें?

व्रत के समापन पर किसी हनुमान मंदिर में दीपदान, हनुमान यज्ञ, अथवा गरीबों को अन्न, वस्त्र या दान देकर व्रत पूर्ण किया जाता है. मान्यता है कि यह व्रत यदि पूर्ण श्रद्धा और नियमपूर्वक किया जाए, तो कठिनतम कष्ट भी दूर हो जाते हैं और जीवन में दृश्य-अदृश्य संकटों से सुरक्षा प्राप्त होती है.

Also Read This: Vish Yog 2025: क्या आपकी कुंडली में है ‘विष योग’? इस पूर्णिमा पर करें ये उपाय…