अमृतसर. शिअद (बादल) के लिए अपने पंथक गढ़ खडूर साहिब संसदीय हलके (पहले तरनतारन) को बचाने की गंभीर चुनौती है. शिअद के तत्कालीन अध्यक्ष मोहन सिंह तुड़ की जन्म व राजनीतिक जमीन पर उनके परिवार का इस लोकसभा सीट पर दबदबा था. मोहन सिंह तुड, लहना सिंह तुड़ व तरलोचन सिंह तुड़ ने 5 बार तरनतारन संसदीय हलके से चुनाव जीतकर इस संसदीय हलके को पंथक गढ़ में बदल दिया था.

अकाली दल के सीनियर नेता मेजर सिंह उबोके, प्रेम सिंह लालपुरा व डा. रत्न सिंह अजनाला व 2014 के लोकसभा चुनाव में जत्थेदार रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने इस संसदीय हलके से लोकसभा चुनाव जीत कर पंथक गढ़ में शिअद का परचम फहराया. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले शिअद (बादल) के साथ पैदा हुए वैचारिक मतभेद के बाद माझा के जरनैल जत्थेदार रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने बगावत कर अपने दल शिअद (टकसाली) से परमजीत खालड़ा को समर्थन देकर शिअद की उम्मीदवार बीबी जागीर कौर को न केवल हराने में भूमिका निभाई, वहीं तीन दशकों के बाद पहली बार पंथक गढ़ से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार जसबीर सिंह डिंपा संसद में पहुंचने में सफल हो गए.

पंथक गढ़ में मिली हार के बाद शिअद को विधानसभा चुनाव में भी कड़ी हार का सामना करना पड़ा. आम आदमी पार्टी ने संसदीय हलके के साथ संबंधित 9 विधानसभा हलकों में से जंडियाला, बाबा बकाला, पट्टी, खेमकरण, जीरा, तरनतारन व खडूर साहिब में जीत हासिल की. कपूरथला में कांग्रेस व सुल्तानपुर लोधी से एक आजाद उम्मीदवार चुनाव जीते. अनिक विधानसभा चुनाव में शिअद अपने पंथक गढ़ से इतनी बुरी से हारी, इसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी. 2024 के + लोकसभा चुनाव में शिअद के लिए इस पंथक गढ़ को बचाना बड़ी चुनौती है.

2019 में शिअद दो गुटों में विभाजित था. अब वह गुट एक बार फिर शिअद में विलय कर चुका है. इस पंथक गढ़ से पार्टी उम्मीदवार का चयन करना शिअद के लिए आसान नहीं है. खडूर साहिब हलके के प्रभारी शिअद के सीनियर नेता बिक्रम सिंह मजीठिया, पार्टी प्रवक्ता विरसा सिंह वल्टोहा टिकट के दावेदारों में शामिल हैं. बीते महीने बीबी जागीर कौर शिअद में वापस लोट आई हैं. बेशक बीबी जागीर कौर ने चुनावी राजनीति से अलग होने की घोषणा कर रखी है. लेकिन, इस बात की संभावना है कि वह पार्टी के आग्रह पर इस पंथक गढ़ से चुनाव लड़ सकती है.