रायपुर. संसदीय सचिव के मामले में सुनवाई आज भी जारी रही. सरकार की ओर से महाधिवक्ता जेके गिल्डा ने अपनी बहस पूरी कर ली. इसके बाद 10 संसदीय सचिवों ने भी कह दिया कि महाधिवक्ता ने जो दलीलें रखीं है उसके अतरिक्त कुछ और नहीं करना है. लेकिन 11 वें संसदीय सचिव की ओर से दलील जारी रही. सोमवार को इसके पूरा होने की उम्मीद है. इससे पहले मोहम्मद अकबर और राकेश चौबे की ओर से अपनी दलीलें पेश की जा चुकी हैं.

गौरतलब है कि इस मामले में मोहम्मद अकबर और राकेश चौबे ने याचिकाएं लगाई हैं. याचिका में संसदीय सचिवों की नियुक्ति को असंवैधानिक बताया गया है. जबकि अकबर की दूसरी याचिका में मांग की गई है कि इनके मामले ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के हैं. इसलिए इन्हें विधायकी से हटाया जाए.

इस मामले में हुई सुनवाई में कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में संसदीय सचिवों के काम करने पर रोक लगा दी है. लेकिन मोहम्मद अकबर ने आरटीआई से मिली सूचना के आधार पर बताया है कि सभी संसदीय सचिव और सरकार कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहे हैं लिहाज़ा उन्होंने कोर्ट ऑफ कंटेंप्ट का मामला भी दर्ज कर दिया. इसके बाद मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने खुद को व्यक्तिगत रुप से पार्टी बनाए जाने से अलग करने का आवेदन लगाया है.

मामला सरकार की सेहत से भी जुड़ा हुआ है. दिल्ली में संसदीय सचिवों के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ के मामले ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी हैं. साथ ही यहाँ बता दें कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाकर उन्हें लाभ का पद देने के मामले में चुनाव आयोग ने 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी थी. अगर दिल्ली का फैसला छत्तीसगढ़ में दोहराया जाता है तो सरकार के सामने संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है. हालांकि छत्तीसगढ़ में हालात थोड़े अलग है. ऐसे में सख्त फैसला आएगा या नहीं इस पर हर किसी की निगाहें टिकी है.