बिलासपुर. संसदीय सचिवों के मामले की सुनवाई आज बिलासपुर हाईकोर्ट में होनी थी, लेकिन एक बार फिर यह सुनवाई टल गई है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 जनवरी को होगी.
हाईकोर्ट ने कहा है कि संसदीय सचिवों के मामले में लम्बी सुनवाई चलेगी. कोर्ट के पास कुछ अन्य महत्वपूर्ण मामले फैसले के लिए लंबित है, लिहाजा कोर्ट संसदीय सचिवों के मामले की सुनवाई कर लंबित नहीं करना चाहता. इसलिए 11 जनवरी के बाद सुनवाई रखी गई है. जिसके बाद इस मामले की लगातार सुनवाई की जाएगी.
इसके पहले इस मामले की सुनवाई 28 नवम्बर को हुई थी. जिसमें चीफ जस्टिस टीबी राधाकृष्णन और शरद गुप्ता की बेंच ने मामले की सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले और दूसरे बिंदुओं पर चर्चा हुई. जिसमें कोर्ट ने माना की इन तमाम बिंदुओं पर गौर करना ज़रुरी है. लिहाज़ा इसकी सुनवाई जारी रहेगी. इसके लिए 12 दिसम्बर को सुनवाई की तारीख दी गई थी लेकिन आज एक बार फिर इस सुनवाई को टाल दिया गया है और अब अगली सुनवाई 11 जनवरी को रखी गई है.
गौरतलब है कि मोहम्मद अकबर और राकेश चौबे ने संसदीय सचिवों को लाभ का पद बताते हुए उन्हें हटाने की मांग की है. इस मामले में मोहम्मद अकबर ने ये भी मांग की है कि संसदीय सचिवों ने लाभ के पद का लाभ लिया है. इसलिए उन्हें विधायकी से भी हटाया जाए.
इस मामले में हाईकोर्ट ने अपनी पूर्व की सुनवाई में संसदीय सचिवों के काम करने पर रोक लगा दी थी. लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी संसदीय सचिव गाड़ी और दूसरी सुविधाओं का लाभ ले रहे थे. इसका खुलासा एक आरटीआई से हुआ. इसके बाद अकबर ने सभी संसदीय सचिवों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला दर्ज करा दिया.
ये बनाए गए हैं संसदीय सचिव
राजू सिंह क्षत्रिय, तोखन साहू, अंबेश जांगड़े, लखन लाल देवांगन, मोतीलाल चंद्रवंशी, लाभचंद बाफना, रूपकुमारी चौधरी, शिवशंकर पैकरा, सुनीति राठिया, चंपा देवी पावले और गोवर्धन सिंह मांझी संसदीय सचिव है.