चंडीगढ़. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के अनुसार कैदियों के पास अगर मोबाइल फोन मिलता है, तो इससे उन्हें पैरोल देने की अनुमति न दी जाए ऐसा नही हो सकता है। यह निर्णय किसी भी कैदी के लिए बहुत सख्त होगा। जब तक कोई भी आरोपी का दोष साबित नही होता तब तक उसे निर्दोष माना जाता है।
जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर जस्टिस दीपक सिब्बल जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल और जस्टिस मीनाक्षी आई. मेहता की पांच जजों की पीठ ने कहा कि निष्पक्ष सुनवाई का सिद्धांत भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के दायरे में आता है।
इसके अनुसार कोई कैदी के लिए यह सही नही होगा की उसे सिर्फ इस लिए पैरोल न दिया जाए की इसके पास मोबाइल है। ऐसा करने से निष्पक्ष सुनवाई का उलंघन होगा.
- श्रमिक परिवारों को मिलेगी बड़ी सौगात: खाते में आएंगे 600 करोड़ रुपये, सीएम डॉ मोहन करेंगे राशि ट्रांसफर
- Motihari Vigilance Department : मोतिहारी में घूसखोर अफसर को निगरानी विभाग ने गिरफ्तार किया…
- गर्लफ्रेंड का चक्कर बाबू भैया… बॉयफ्रेंड ने दोस्तों के साथ मिलकर शराब दुकान में की चोरी, सभी आरोपी गिरफ्तार
- बड़ी खबरः थाने के बैरक में बैठे मुंशी को बदमाश ने मारी गोली, मचा हड़कंप, आरोपी की तलाश में जुटी पुलिस
- डबल मर्डर की खौफनाक दास्तांः FCI अफसर के शरीर पर जख्म के 7 निशान, पत्नी के सिर पर गड्ढा, जानिए आखिर कातिल ने क्यों खेला खूनी खेल?