चंडीगढ़. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के अनुसार कैदियों के पास अगर मोबाइल फोन मिलता है, तो इससे उन्हें पैरोल देने की अनुमति न दी जाए ऐसा नही हो सकता है। यह निर्णय किसी भी कैदी के लिए बहुत सख्त होगा। जब तक कोई भी आरोपी का दोष साबित नही होता तब तक उसे निर्दोष माना जाता है।
जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर जस्टिस दीपक सिब्बल जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल और जस्टिस मीनाक्षी आई. मेहता की पांच जजों की पीठ ने कहा कि निष्पक्ष सुनवाई का सिद्धांत भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के दायरे में आता है।
इसके अनुसार कोई कैदी के लिए यह सही नही होगा की उसे सिर्फ इस लिए पैरोल न दिया जाए की इसके पास मोबाइल है। ऐसा करने से निष्पक्ष सुनवाई का उलंघन होगा.
- दिल्ली-NCR में झमाझम बारिश, कई जगह ट्रैफिक जाम, यमुना का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ की चेतावनी जारी
- Nikita Lodhi Missing Case: 10 दिन बाद भी लापता निकिता का पुलिस को नहीं मिला कोई सुराग, परिजनों ने सीएम और डीजीपी से लगाई गुहार
- नालंदा से बड़ी खबर: नीतीश के मंत्री पर फूटा लोगों का गुस्सा, करीब एक किलोमीटर तक खदेड़ा, जानें क्यों हुए ग्रामीणों के गुस्से का शिकार
- डोनाल्ड ट्रंप का मानसिक संतुलन बिगड़ा! मनोवैज्ञानिकों ने दी चेतावनी, अमेरिकी राष्ट्रपति में इस खतरनाक बीमारी के दिख रहे हैं लक्षण
- CG News : चालान पेश करने पीड़ित से मांगे रुपए, SSP ने आरक्षक को किया सस्पेंड