उदयपुर. छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के उदयपुर तहसील में स्थित घाटबर्रा गांव में बुधवार को परसा ईस्ट केते बासेन खदान परियोजना के पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन के लिए विशेष ग्रामसभा का सफल आयोजन हुआ. यह आयोजन छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 6 (1) (क) के अंतर्गत जिला कलेक्टर विलास भोसकर के आदेश पर किया गया. ग्रामसभा का आयोजन 19 जून 2024 को हुआ जिसमें परियोजना से प्रभावित ग्रामीणों के पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन पर विचार-विमर्श किया गया.

बैठक में प्रशासनिक अधिकारियों की भागीदारी

ग्रामसभा की बैठक में सीईओ जनपद उदयपुर वेद प्रकाश गुप्ता, एसडीएम बी आर खांडे, तहसीलदार चंद्रशिला जायसवाल, नायब तहसीलदार आकाश गौतम और पंचायत इंस्पेक्टर विपिन चौहान मौजूद थे. मंच संचालन और गणपूर्ति की जिम्मेदारी गांव के सचिव गोपाल राम, सरपंच जयनंदन पोर्ते और ग्रामसभा अध्यक्ष नवल सिंह ने संभाली.

ग्रामीणों ने रखे सुझाव और मांगें

ग्रामसभा में सैकड़ों ग्रामीणों की उपस्थिति रही. बी आर खांडे ने पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन नीति के तहत विस्थापितों को दी जाने वाली सुविधाओं का विवरण दिया और ग्रामीणों से उनके सुझाव मांगे. महिला ग्रामीण पर्वतिया ने पक्की सड़क और दुकान खोलने की मांग की, जिस पर विचार करने का आश्वासन दिया गया. ग्रामीण मुन्ना यादव और कृष्णचंद्र यादव ने अपने विस्थापन से संबंधित सुविधाओं पर चर्चा की और प्रशासन के जवाब से संतुष्ट दिखे. हालांकि, कुछ ग्रामीणों द्वारा विरोध भी दर्ज किया गया, जिसे प्रशासनिक अधिकारियों ने शांतिपूर्वक संभाला.

भूमि अधिग्रहण और मुआवजा

परियोजना के द्वितीय चरण के लिए घाटबर्रा गांव की 350 हेक्टेयर निजी भूमि का अधिग्रहण किया जाना है. इसमें 1200 से अधिक स्थानीय लोगों को मुआवजा दिया जाएगा और उनके पुनर्वास के लिए विशेष नीति तैयार की गई है. इसमें मकान/प्लॉट, परिवहन खर्च, पुनर्व्यवस्थापन भत्ता, नौकरी, वृद्धावस्था पेंशन, चिकित्सा सुविधा, बच्चों के लिए स्कूल, छात्रवृत्ति और बुनियादी सुविधाएं जैसे पक्की सड़क, नालियां, शुद्ध पेयजल, उचित मूल्य दुकान, आंगनबाड़ी भवन, हाट बाजार, विद्यालय भवन, स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक भवन, श्मशान/कब्रिस्तान, मंदिर/मस्जिद और शौचालय की व्यवस्था शामिल है.

रोजगार और राजस्व

परसा ईस्ट केते बासेन कोयला खनन परियोजना में वर्तमान में 3500 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और 7000 से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला हुआ है. इस खदान से केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार को सालाना 2000 करोड़ रुपए से अधिक राजस्व प्राप्त होता है. कोयला मंत्रालय द्वारा इस परियोजना को लगातार चार सालों से 5 स्टार रेटिंग मिली है.

यह ग्रामसभा परियोजना से प्रभावित ग्रामीणों के पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है, जिससे उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा.