Patanjali Misleading Advertisement Case: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक दवा विज्ञापनों पर रोक लगा दी. दरअसल, पिछले साल कोर्ट ने कंपनी को ऐसे विज्ञापन न देने का निर्देश दिया था. कंपनी ने इसे नजरअंदाज कर दिया. इस पर कोर्ट ने कंपनी और प्रबंध निदेशक (एमडी) आचार्य बालकृष्ण को अवमानना नोटिस जारी किया है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पतंजलि ने कहा- हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे हैं. उनके निर्देशों का पालन करेंगे. सुप्रीम कोर्ट 17 अगस्त, 2022 को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इसमें कहा गया था कि पतंजलि ने कोविड टीकाकरण और एलोपैथी के खिलाफ नकारात्मक प्रचार किया. साथ ही उन्होंने कुछ बीमारियों को अपनी आयुर्वेदिक दवाओं से ठीक करने का झूठा दावा भी किया. मामले की अगली सुनवाई 19 मार्च को होगी.
भ्रामक दावे कर देश को दे रहे धोखा (Patanjali Misleading Advertisement Case)
जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कहा- पतंजलि भ्रामक दावे करके देश को धोखा दे रही है कि उसकी दवाओं से कुछ बीमारियां ठीक हो जाएंगी, जबकि इसका कोई ठोस सबूत नहीं है. पतंजलि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम में निर्दिष्ट बीमारियों के इलाज का दावा करने वाले अपने उत्पादों का विज्ञापन नहीं कर सकती है.
कोर्ट ने सरकार से पूछा- आपने पतंजलि के खिलाफ क्या कार्रवाई की?
कोर्ट ने सरकार से पूछा कि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 के तहत पतंजलि के विज्ञापनों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है. केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ने कहा कि इस संबंध में डेटा एकत्र किया जा रहा है. कोर्ट ने इस जवाब पर नाराजगी जताई और कंपनी के विज्ञापनों पर नजर रखने का निर्देश दिया.
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