पटना। राज्य सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट डायल 112 में बतौर चालक कार्यरत पूर्व सैनिकों ने पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर पिछले 17 दिनों से लगातार प्रदर्शन कर रखा है। इन पूर्व सैनिकों का आरोप है कि तीन से साढ़े तीन सालों की सेवा के बाद भी उन्हें ना तो उचित वेतन मिल रहा है ना ही राज्यकर्मी जैसा दर्जा या अन्य बुनियादी सुविधाएं।
सिर्फ 750 रुपये की बढ़ोतरी, परिवार चलाना मुश्किल
धरने में बैठे गजेंद्र कुमार ने बताया कि उनकी नियुक्ति ₹25,000 मासिक वेतन पर हुई थी लेकिन तीन साल में केवल ₹750 की बढ़ोतरी हुई है। यह बढ़ोतरी 1% भी नहीं है जो हमारे साथ मज़ाक जैसा है उन्होंने कहा। इतना ही नहीं वे बताते हैं कि कई चालक भूखे-प्यासे रहकर भी अपनी ड्यूटी निभाते रहे हैं लेकिन सरकार की ओर से कोई सम्मान नहीं मिला।
15 चालक शहीद, परिजनों को नहीं मिली मदद
गजेंद्र ने बताया कि अब तक 15 पूर्व सैनिक चालक ड्यूटी के दौरान शहीद हो चुके हैं लेकिन उनके परिवारों को सरकार की ओर से कोई आर्थिक सहायता नहीं दी गई। साथी चालकों ने चंदा इकट्ठा कर वीर नारियों की मदद की है। पूर्व सैनिकों की मांग है कि इंश्योरेंस पॉलिसी लागू की जाए ताकि हादसों की स्थिति में परिवार को राहत मिल सके।
राज्यकर्मी का दर्जा और स्थायी अनुबंध की मांग
धरने पर बैठे चंदन कुमार ने बताया कि चालक और पुलिसकर्मी दोनों एक ही वर्दी पहनते हैं लेकिन सुविधाओं में स्पष्ट भेदभाव है। पुलिसकर्मियों को जहां भत्ता और अन्य लाभ मिलते हैं वहीं चालकों को 11-11 महीने के अनुबंध पर रखा जाता है। उन्होंने कहा कि अगर अनुबंध ही देना है तो 60 साल या कम से कम 7 साल का किया जाए।
सिर्फ कागजों पर सैनिकों को सम्मान
पूर्व सैनिक संघ के अध्यक्ष धीरज सिंह ने कहा कि 17 दिन बीत जाने के बाद भी अब तक सरकार की ओर से कोई भी अधिकारी मिलने नहीं आया है। उन्होंने कहा हमने देश की सीमाओं की रक्षा की है अब हमें अपने अधिकारों के लिए सड़क पर बैठना पड़ रहा है। यह पूर्व सैनिकों के सम्मान का अपमान है।
सिर्फ आश्वासन, अब तक कोई कार्रवाई नहीं
धरना देने वाले सैनिकों ने बताया कि उन्होंने 9 सितंबर को जेडीयू कार्यालय में आवेदन सौंपा और 17 सितंबर को भाजपा कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। पटना डीएम से भी मुलाकात हुई लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही आश्वासन मिले हैं ठोस कार्रवाई नहीं।
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