बिलासपुर. आय से अधिक संपत्ति मामले में बिलासपुर में अपर सत्र न्यायाधीश सुनील कुमार जायसवाल ने भ्रष्टाचार के दोषी पटवारी को पांच साल की सजा सुनाई है. साथ ही चार लाख रुपए अर्थदंड भी दिया है. जुर्माने की राशि जमा नहीं करने पर उसे डेढ़ साल अतिरिक्त सजा भुगतना पड़ेगा.
आठ साल पहले एंटी करप्शन ब्यूरो ने पटवारी के ठिकानों में छापेमारी की थी, तब उसके पास से 97 लाख रुपए की संपत्ति मिली थी, जिस पर अब फैसला आया है. साल 2014 में एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने तिफरा में पदस्थ पटवारी विनोद तंबोली के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया था और उसके निवास सहित अन्य ठिकानों में दबिश दी थी. जांच के दौरान एसीबी ने पटवारी के पास से 20 लाख रुपए नगद के साथ ही सोने-चांदी के गहने व करोड़ों रुपए के प्लॉट, जमीन, मकान के दस्तावेज भी बरामद किए थे.
2017 में हुई थी गिरफ्तारी
एसीबी ने केस दर्ज करने के बाद आरोपी पटवारी की संपत्ति की जांच की और स्पेशल कोर्ट में 2017 में चालान पेश किया था. तब उस पर एक करोड़ रुपए से अधिक की अनुपातहीन संपत्ति हासिल करने का मामला सामने आया. एसीबी ने उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था, तब कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया था. इस दौरान वह अगस्त से दिसंबर तक जेल में रहा। फिर उसे जमानत मिल गई थी.
भ्रष्टाचार के जरिए हासिल की करोड़ों की संपत्ति
एसीबी के विशेष न्यायाधीश और प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश सुनील कुमार जायसवाल की कोर्ट में इस केस का ट्रॉयल चल रहा था. कोर्ट ने पाया कि आरोपी पटवारी ने एक करोड़ 14 लाख 50 हजार 530 रुपए की अनुपातहीन संपत्ति रखा था, जिसका कोई लेखा-जोखा पेश नहीं किया गया. इस पर कोर्ट ने उसे भ्रष्टाचार के जरिए संपत्ति हासिल करने का दोषी माना और उसे पांच साल कैद और चार लाख रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है.
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