Pawan Khera Wife Kota Neelima: कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा की पत्नी और लेखिका कोटा नीलिमा और कांग्रेस पार्टी पर विदेशी फंडिंग को लेकर लगाए गए आरोपों ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। कोटा नीलिमा पर मोदी सरकार (Modi government) की आलोचना के लिए विदेशी फंडिंग का आरोप लगा है। साथ ही जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-e-Islami) से भी संबंध का दावा किया गया है। वहीं कांग्रेस नेता पवन खेड़ा की पत्नी कोटा नीलिमा ने सभी दावों को सिरे से खारिज किया है और इसे झूठ बताया है। उन्होंने कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

दरअसल, सोशल मीडिया पर कांग्रेस पार्टी, विदेशी फंडिंग और मीडिया नेटवर्क के कथित गठजोड़ को लेकर तमाम दावे किए जा रहे हैं। इन आरोपों ने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। इस थ्रेड में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा की पत्नी कोटा नीलिमा को कथित तौर पर इस पूरे इकोसिस्टम का सेंट्रल फेस बताया गया है।

इन आरोपों पर कोटा नीलिमा ने प्रतिक्रिया दी और बयान जारी कर सभी दावों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा, मैं इस थ्रेड में तथाकथित जांच के नाम पर की गई इस मानहानिकारक बकवास से हैरान हूं। यह मेरी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से गढ़ा गया एक सुनियोजित झूठ है। इसमें किया गया हर दावा झूठा और दुर्भावनापूर्ण है। कोटा नीलिमा ने आगे कहा कि आरोप लगाने वाले, इसे प्रकाशित करने वाले और जानबूझकर इसे फैलाने व बढ़ावा देने वाले सभी लोगों के खिलाफ बिना किसी देरी के सिविल और क्रिमिनल कार्रवाई शुरू की जा रही है। उन्होंने साफ किया कि कानून के तहत पूरी सख्ती से परिणाम सुनिश्चित किए जाएंगे।

दावा- इस तरह खेला गया विदेशी फंडिंग का खेल

सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया गया है कि कोटा नीलिमा, दिल्ली स्थित एक संगठन PROTO से जुड़ी हैं पोस्ट के मुताबिक, यह संगठन अमेरिकी लिंक वाले जर्नलिज्म प्रोग्राम्स के जरिए यह तय करने में भूमिका निभाता है कि किन भारतीय पत्रकारों को विदेशी फंडिंग मिले। इस पोस्ट में कोटा नीलिमा को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की सदस्य और तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी की पूर्व उपाध्यक्ष बताया गया है। पोस्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि PROTO की स्थापना साल 2018 में अमेरिका स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर जर्नलिस्ट्स यानी ICFJ से जुड़े फेलोज द्वारा की गई थी। बाद में यह दक्षिण एशिया में ICFJ के कार्यक्रमों का प्रमुख साझेदार बन गया। दावा किया गया है कि ICFJ पश्चिमी सरकारों, फाउंडेशनों और मीडिया संस्थानों से मिलने वाली विदेशी फंडिंग को भारत में पत्रकारिता प्रोजेक्ट्स के जरिए चैनल करता है और इन पहलों के जरिए केंद्र की BJP सरकार के खिलाफ कथित रूप से नैरेटिव गढ़े जाते हैं।

जमात-ए-इस्लामी से जुड़े कथित संगठनों के साथ संबंधों का भी दावा

थ्रेड में PROTO के संस्थापकों और जमात-ए-इस्लामी से जुड़े कथित संगठनों के बीच वैचारिक और संगठनात्मक संबंधों का भी दावा किया गया है। पोस्ट में आरोप लगाया गया कि विदेशी फंडिंग, राजनीतिक विपक्ष के नैरेटिव और इस्लामी संगठनों की गतिविधियों के बीच भूमिकाओं को बांटा गया है। यह भी कहा गया कि साल 2020 से 2024 के बीच ICFJ से जुड़े प्रोग्राम्स के तहत भारत में जिन स्टोरीज़ को कमीशन किया गया, उनका फोकस अल्पसंख्यक अधिकार, हेट स्पीच, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और बुलडोजर कार्रवाई जैसे मुद्दों पर रहा, जबकि अन्य साम्प्रदायिक हिंसा के मामलों को नजरअंदाज किया गया।

क्या दावे किए जा रहे?

सोशल मीडिया थ्रेड में दावा किया गया कि कोटा नीलिमा ने साल 2017 के बाद कई मीडिया और सिविल सोसाइटी प्लेटफॉर्म शुरू किए या उनसे जुड़ी रहीं। इनमें इंस्टीट्यूट ऑफ परसेप्शन स्टडीज, रेट द डिबेट, हक्कू इनिशिएटिव और स्टूडियोअड्डा जैसे नाम शामिल हैं। पोस्ट में आरोप लगाया गया कि इन मंचों पर BJP सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों को जगह दी गई और संभवतः विदेशी फंडिंग वाले जर्नलिज्म प्रोजेक्ट्स के लिए चयन को प्रभावित किया गया। हालांकि इन दावों के समर्थन में कोई दस्तावेजी सबूत सार्वजनिक रूप से पेश नहीं किए गए हैं।

यह भी पढ़ेंः- ‘एक मूर्ख की वजह से देश इतना नुकसान नहीं झेल सकता…,’ किरेन रिजिजू का राहुल गांधी पर करारा वार, बोले- अब हर बिल पास कराएगी सरकार

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m