शिवा यादव, सुकमा. नक्सलियों के द्वारा आम नागरिकों को छति पहुंचाने, हिसंक घटनाओं को अंजाम देने व कई अन्य आपराधिक घटनाओं के विरोध में 2 अक्टूबर को शांति पद यात्रा की शुरुआत की गई थी. नक्सलवाद के खिलाफ निकाली गई पद यात्रा 5 अक्टूबर को दोरनापाल पहुंची. पहुंती यात्रा का स्थानीय आदिवासियों के द्वारा पारम्परिक तरीके से स्वागत किया गया. वही शांति के यह यात्रा देश के  6 राज्यों में निकाली जा रही है. जिसमें करीब 150 से अधिक लोग भाग ले रहे है. गांधी जयंती के दिन पूजा-अर्चना के बाद छत्तीसगढ़ के सीमा चट्टी गांव से इस पद यात्रा को शुरु किया गया. जो कि दो दिनों में लगभग 45 किलोमीटर का सफर पूरा करते हुए दोरनापाल पहुंची.

यात्रा में आदिवासी समुदाय के लोगो ने अपने पारम्परिक बाजा के साथ यह यात्रा शुरू की, जिसमे जाने माने लेखक शुभ्रांशु चौधरी भी पदयात्रा में सम्मिलित है. नक्सलवाद के खिलाफ यह शांति पद यात्रा दस दिनों तक जारी रहेगी, जिसमें 186 किलोमीटर का सफर तय करके जगदलपुर पहुंचे गी. शांति पद यात्रा को 12 अक्टूबर को एक महारैली का आयोजन के साथ यात्रा समाप्त किया जाएगा.

आडियों टेप जारी कर नक्सलियों ने किया था विरोध

नक्सलवाद के खिलाफ निकाली गई शांति पद यात्रा का, नक्सली संगठन के द्वारा आडियों टेप जारी कर विरोध किया गया था. इस घटना की जानकारी यात्रा में शामिल शुभ्रांशु चौधरी ने बताया. उन्होंने काह कि यात्रा का उद्देश्य मासूम व निर्दोष लोगो की जान बचाने के लिए निकाली जा रही है. नक्सली संगठन के लोगों के बहकावे में आकर शांति के रास्ते से भटके हुए लोग को यह यात्रा समाज के मुख्यधारा से जोड़ने का काम करेगी.