मुंबई. बच्चों के लिए पेंसिल उनकी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा है. ये ठीक वैसा ही है जैसा बड़ों के लिए पेन उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा होता है. पेंसिल इस्तेमाल करने वाले अप्सरा और नटराज के नाम से जरूर परिचित होंगे. इन पेंसिल ने न जाने कितने मासूम सपनों को पंख दिए हैं.

अप्सरा और नटराज पेंसिल हर बच्चे की जिंदगी का अहम हिस्सा रही हैं. हर इंसान इन पेंसिल से भावनात्मक जुड़ाव महसूस करता है. करोड़ों बच्चे इन पेंसिल का इस्तेमाल कई सालों से कर रहे हैं. इस बार इन पेंसिल के निर्माता ने एक ऐसा कदम उठाया जिसने लोगों का दिल जीत लिया. दरअसल पेंसिल को छीलने के लिए शार्पनर का इस्तेमाल बच्चे करते हैं. मार्केट में मौजूद सभी शार्पनर की बनावट दाहिने हाथ के बच्चों के लिए ज्यादा आरामदायक होती है. ये शार्पनर इस तरह बने होते है कि दाहिने हाथ से काम करने वाले बच्चे इनको आराम से इस्तेमाल कर सकें लेकिन एक मां ने जिनकी बच्ची बाएं हाथ से लिखती थी यानि वो लेफ्टी थी उसे शार्पनर का इस्तेमाल करने में काफी दिक्कत होती थी. उस बच्ची की मां ने बच्ची की समस्या बताते हुए कंपनी को चिट्टी लिखी और कंपनी से अपील की कि वो उनकी बच्ची जो कि लेफ्ट हैंडर है उसकी जरूरतों का ख्याल रखते हुए क्या शार्पनर बना सकती है. कंपनी ने उस मां की चिंता को तवज्जो देते हुए न सिर्फ विशेष रूप से पांच शार्पनर बनाकर बच्ची को उपहार के तौर पर दिए बल्कि उस बच्ची की मां को भरोसा भी दिलाया कि कंपनी बकायदा रिसर्च करेगी कि कैसे उन बच्चों के लिए विशेष रूप से शार्पनर बनाया जाय जो कि बायां हाथ इस्तेमाल करते हैं.

कंपनी के इस कदम की जमकर तारीफ न सिर्फ लेफ्ट हैंड इस्तेमाल करने वाली बच्ची के परिजनों ने की बल्कि इस घटना की सोशल मीडिया पर खबर आने के बाद से ही लोगों ने कंपनी के इस कदम को जी भर सराहा है. अप्सरा और नटराज सिर्फ पेंसिल भर नहीं हैं बल्कि ये हर बच्चे की जिंदगी का अभिन्न हिस्सा हैं. इन पेंसिल को बनाने वाली कंपनी के इस फैसले और प्यारी सी चिट्ठी ने सबका दिल जीत लिया है. हम तो उम्मीद करते हैं कि कंपनियां इसी तरह अपने कस्टमर्स का ख्याल रखें ताकि लोग उनसे दिल से जुड़ाव महसूस कर सकें. खासकर वो कंपनियां जो बच्चों की जरूरत का सामान बनाती हैं वो अगर इस संजीदा तरीके से बच्चों की जरूरतों का ख्याल रखेंगी तो उनके काम को हर तरफ सराहा जाएगा. लल्लूराम डाट काम की तरफ से भी इन पेंसिल मेकर्स के इस कदम के लिए एक बड़ा सा थैंक्यू.