पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ सरकार शिक्षा को लेकर लाख दावे कर ले, लेकिन सिस्टम की नाकामी तले आज भी शिक्षा के रास्ते पर बदहाली की तस्वीरें दिखेगी. गरियाबंद में भी कुछ ऐसा ही हाल है. 3 ट्रेड वाली मूड़ागांव आईटीआई के लिए आधा एकड़ जमीन पर दो माले में 32 कमरे का आलीशान भवन, लेकिन यहां सिस्टम की नाकामी के कारण छात्रों को न ट्रेनिंग मिल पा रही है और न ही किसी तरह की अच्छी शिक्षा मिल रही है, जिससे अब छात्र भी एडमिशन लेने से कतरा रहे हैं. इससे भी हैरानी की बात ये है कि चपरासी को प्रिंसिपल बनाकर रखा गया था. इन सबके बीच कोपा, इलेक्ट्रीशियन और फिटर के छात्रों का सपना कैसे पूरा होगा ?

दरअसल, देवभोग क्षेत्र के युवा बेरोजगारों के स्किल डेवल्पमेंट के लिए 8 साल पहले यानी 2015 में मूड़ागांव में आईटीआई खोला गया. शुरू में इसे बढ़ावा देने शासन प्रशासन ने ध्यान दिया. अतरिक्त कक्ष से शुरू हुए आईटीआई को वर्ष 2018में 32 कमरे के विशाल भवन में शिफ्ट कर दिया गया. पहले कोपा का ट्रेड था, लेकिन 2018 में इलेक्ट्रिकल और 2020 में फिटर ट्रेड की मंजूरी मिल गई, लेकिन आईटीआई को डिजीटी के नियम के मुताबिक सुविधाएं नहीं दी गई.

प्रयोगशाला और वर्कशॉप के लिए जरूरी एक भी समान यहां उपल्ब्ध नहीं कराया गया. ऐसे में इच्छुक युवाओं का रुझान भी घट गया. आईटीआई में तकनीकी गुर सीखने गई हायर सेकेंडरी की छात्राएं झाड़ू-पूछा और वाइपर पकड़ कमरे साफ करते नजर आईं.

प्रेक्टिकल के लिए केवल 3 कंप्यूटर

मौजूदा हालात के चलते यहां रोजाना 20 छात्र भी पढ़ने नहीं आते. कमरों में केवल बाहर वर्कशाप और प्रयोगशाला का बोर्ड चिपकाया गया है. अंदर एक बैंच तक मौजूद नहीं है. कोपा में 48 सीट हैं, जबकि 44 छात्र भर्ती लिए हैं और आते 12 से 15 छात्र हैं.

8 साल पहले तक 10 कम्यूटर थे, लेकिन अब 3 बच गए हैं, जो अपडेटेड नहीं हैं. इसी तरह इलेक्ट्रिकल और फिटर के 30 सीट केवल 20 लोगों ने भर्ती लिया है, क्योंकि इन दोनों ट्रेड के प्रशिक्षण के लिए एक भी मशीन नहीं हैं. भवन के ज्यादातर कमरे खाली व बंद पड़े हैं.

प्रिंसिपल के प्रभार में चपरासी

तीनों ट्रेड के लिए एक एक ट्रेनिंग ऑफिसर हैं, जो थ्योरी की खाना पूर्ति कर देते हैं. प्रिंसिपल ओपी विश्वकर्मा का तबादला हुआ तो नए प्रभारी प्रिंसिपल की पोस्टिंग हुई, जो आज दोपहर को चार्ज लेने पहुंचे, अब तक चपरासी जितेंद्र जाल प्रिंसिपल के प्रभार में थे.

डीडीओ पावर मैनपुर आईटीआई के प्राचार्य संतोष ध्रव के पास हैं. ध्रुव ने कहा कि मशीनरी से लेकर बड़े इक्योपमेंट की खरीदी संचनालय से होना है. बगैर मशीन के रॉ मटेरियल खरीदी का कोई फायदा भी नहीं.

वाइपर से कमरे साफ करते दिखीं छात्राएं

वोकेशनल कोर्स के तहत देवभोग कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल को छात्राओं को भी आईटीआई में कोपा का ट्रेनिग दिया जाना था. सोमवार को जब हम पहुंचे तो आईटीआई हायर सेकेंडरी की छात्राएं वाइपर पकड़ कर कमरे साफ करते नजर आईं.

आईटीआई में भर्ती ट्रेनी छात्रों ने बताया कि उनकी संख्या 44 है. मात्र 2 कम्यूटर चलते हैं. प्रेक्टिकल करने रेगुलर वालों को समय नहीं मिल पाता. ऐसे में दूसरे संस्था की छात्राएं यहां आकर कहां से सीखेंगी.

भवन निर्माण में भी किया छलावा

आईटीआई भवन के लिए 1 करोड़ से ज्यादा की राशि 2015 में मंजूर हुई. 2018 में जब छात्रों की संख्या बढ़ी तो प्रबंधन ने जल्दबाजी में नए भवन में क्लास लगाना शुरू किया. क्लास के लगते ही ठेका कम्पनी ने ऊपर के कमरों के बाथरूम और नल फिटिंग का काम छोड़ दिया. आज तक भवन को विधिवत हैंडवोवर दिया नहीं.

मामले में जिले के नोडल प्राचार्य सर्वेश कुमार साहू ने कहा कि जरूरी सामग्री और मशीनरी की मांग पत्र संचनालय भेजा गया है. मंजूरी मिलते ही उपलब्ध कराया जाएगा.

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