रायपुर-  पांचवी और छठवीं अनुसूची में प्रदत्त अधिकारों का राज्यपाल द्वारा उपयोग नहीं किए जाने के एक सवाल के जवाब में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस के जी बालकृष्णन ने कहा कि- राज्यपाल का पद संवैधानिक पद है. राज्यपाल अपने अधिकारों के तहत काम करते हैं. राज्यपाल के पद और दायित्वों को लेकर मैं व्यक्तिगत तौर पर कुछ नहीं कहूंगा. लेकिन यदि कहीं संवैधानिक अधिकारों का पालन नहीं किया जा रहा, तो इसके लिए आम जनता को आगे आकर प्रेरित करने की जरूरत है. 
 
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस छत्तीसगढ़ प्रवास पर आए हुए हैं. पहुना वीवीआईपी गेस्ट हाउस में मीडिया से बातचीत के दौरान बस्तर को लेकर उन्होंने कहा कि- मैंने कभी बस्तर विजीट नहीं किया है, लेकिन यह देश का यूनिक प्लेस हैं. यहां का आदिवासी कल्चर, ट्रेडिशन, हेरीटेज पहचान है. बस्तर में मानवाधिकारों के हनन से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा कि- एचएचआरसी चेयरमेन रहते हुए बस्तर से इस तरह की कई शिकायतें सामने आती रहती थी, लेकिन फिलहाल मैं एनएचआरसी में नहीं हूं और मौजूदा स्थिति मेरी जानकारी में नहीं है. 
 
के जी बालकृष्णन ने माओवाद से जूझ रहे बस्तर में आर्मी की तैनाती से जुड़े सवाल पर दो टूक कहा कि आर्मी की तैनाती का अधिकार एडमिनिस्ट्रेशन का है. हमें इस बात की जानकारी नहीं है कि बस्तर की ग्राउंड रियलिटी क्या है. हम ऐसी रणनीतिक विषयों से दूर रहते हैं. इस बारे में मैं कोई भी सिंपली कमेंट नहीं कर सकता कि बस्तर में आर्मी की तैनाती की जानी चाहिए या नहीं.