
अयोध्या में अगले साल 22 जनवरी को भगवान श्रीराम की मूर्ति स्थापना के मौके पर निहंग बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर ने लंगर लगाने की अनुमति मांगी है। उन्होंने इस संबंध में राम मंदिर ट्रस्ट को पत्र लिखा है।
बुधवार को उन्होंने कहा कि सिख पंथ को हिंदू धर्म से अलग करके देखने वाले कट्टरपंथियों को जानना चाहिए कि राम मंदिर के लिए पहली एफआईआर हिंदुओं के खिलाफ नहीं बल्कि सिखों के खिलाफ हुई थी। सिख पंथ ही सनातन हिंदू धर्म संस्कृति का अभिन्न अंग और धर्म रक्षक योद्धा है।
अयोध्या में श्रीराम मंदिर के इतिहास का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि 30 नवंबर, 1858 को निहंगों ने बाबरी मस्जिद पर कब्जा करके वहां हवन किया था और सभी दीवारों पर श्रीराम लिखा था। इस मामले में निहंग सिखों पर दर्ज एफआईआर में लिखा गया था कि निहंग सिख बाबरी मस्जिद में घुस गए और वहां राम नाम के साथ हवन कर रहे हैं। इस मामले में अन्य के अलावा निहंग बाबा फकीर सिंह के विरुद्ध केस दर्ज हुआ था।
बाबा हरजीत सिंह, बाबा फकीर सिंह की आठवीं पीढ़ी के वंशज हैं। उन्होंने कहा कि उनका किसी भी राजनीतिक दल के साथ संबंध नहीं है। वे केवल सनातन परंपराओं के वाहक हैं। वे कई बार अयोध्या भी जा चुके हैं। अब उन्होंने राम मंदिर न्यास समिति से आग्रह किया है कि 22 जनवरी को मूर्ति स्थापना के अवसर पर उन्हें अयोध्या में लंगर लगाने की इजाजत दी जाए।
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