बिलासपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के कोरोना टीकाकरण अभियान में आरक्षण लागू करने के निर्णय को चुनौती देते हुए जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रचलित वैज्ञानिक सिद्धांतों को ताक में रखते हुए मनमाने तरीक़े से टीकाकरण अभियान चलाए जाने की बात कहते हुए याचिका पर प्राथमिकता से सुनवाई करने की भी गुहार लगाई है.
अमित जोगी ने अधिवक्ता अरविंद श्रीवास्तव के माध्यम से दायर याचिका में दलील दी कि छत्तीसगढ़ सरकार का टीकाकरण में आरक्षण लागू करने का निर्णय असंवैधानिक और अनैतिक होने के साथ-साथ ग़ैर-वैज्ञानिक भी है. टीके की खुराक पहले उन लोगों को लगना चाहिए, जिनके संक्रमित होने की अधिक आशंका है, भले ही वे किसी भी वर्ग या जाति के क्यों न हों. इस बात का निर्णय अस्पताल में विशेषज्ञ-डॉक्टर ही ले सकते हैं न कि वातानुकूलित कमरों में बैठे ग़ैर-विशेषज्ञ नेता.
याचिका में कहा कि भारत के संविधान के अंतर्गत किसी भी शासक को यह तय करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता कि कौन जिये और कौन मरे. टीकाकरण का आधार आरक्षण की जगह विज्ञान होना चाहिए और उपचार का केवल एक ही आधार होता है जिसे चिकित्सा की भाषा में ट्रीआज़ (Triage) कहा जाता है. याचिका में उल्लेख किया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 15 अप्रैल को बुलाई सर्वदलीय बैठक में उन्होंने लिखित में कोरोना के रोकथाम, नियंत्रण और उपचार के लिए सुझाव दिए थे.
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अमित जोगी ने कहा कि बैठक में उन्होंने शासन से आग्रह किया था कि 1 मई से शुरू होने वाले 18-45 आयु के लक्षित समूह के टीकाकरण अभियान में ट्रीआज़ के आधार पर पूर्व रोग से ग्रसित लोगों को पहले टीका लगाया जाना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रचलित वैज्ञानिक सिद्धांतों को ताक में रखते हुए मनमाने तरीक़े से टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है, जिसका ख़ामियाज़ा वास्तविक ज़रूरतमंदों को अपने जीवन से चुकाना पड़ सकता है.
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