वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ सरकार में 14 मंत्री बनाए जाने का मुद्दा हाईकोर्ट पहुंच गया है. मामले में दायर जनहित याचिका की आज चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई. शासन की ओर से अधिवक्ताओं ने बताया कि मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है. इस पर आपत्ति जताते हुए याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट से दिशा-निर्देश के लिए समय मांगे जाने पर हाईकोर्ट ने तीन हफ्ते बाद अगली सुनवाई रखी है.
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बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ता बसदेव चक्रवर्ती ने अधिवक्ता अभ्युदय सिंह के जरिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई है, जिसमें मंत्रिमंडल में 14 मंत्री बनाए जाने को असंवैधानिक बताया गया है. याचिकाकर्ता ने पीआईएल में सामान्य प्रशासन विभाग, मुख्यमंत्री समेत सभी 14 मंत्रियों को पक्षकार बनाया है.

मामले की पिछली सुनवाई शुक्रवार को हुई थी. उस दौरान बताया गया था कि मंत्रिमंडल के सदस्यों के अनुपात में नियमों के अनुसार केवल 13 मंत्री हो सकते हैं. छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीटों की तुलना में 14 मंत्री बनने पर 15% की सीमा क्रॉस कर दी गई है. यह संविधान के अनुच्छेद 164(1) का उल्लंघन है. पिछले सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के सामाजिक क्षेत्र में किए गए कार्यों का शपथ पत्र में जवाब मांगा गया था.
आज सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से पूछा कि हमने आपसे एफिडेविट मांगा था, वह कहां है. एफिडेविट पेश करते हुए अधिवक्ता ने बताया कि हम लोगों ने कोविड में सेवा का काम किया है. जिसका अखबार में प्रकाशित खबर की फोटो और पेपर कटिंग भी हमने संलग्न किया है. इसके साथ कोर्ट को बताया कि मंत्रिमंडल की सीमा 15% से क्रॉस कर गई है. यह संविधान के अनुच्छेद 164 (1 ए) का उल्लंघन है.
मामले में शासन की ओर से अधिवक्ताओं ने बताया कि मंत्रिमंडल की सीमा तय करने से जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है, जिसमें 164 (1 ए) की व्याख्या होनी है. यह मामला मध्य प्रदेश शिवराज सिंह कैबिनेट का था. जिसमें मंत्रिमंडल की न्यूनतम और अधिकतम सीमा के लिए भी याचिका लगी हुई है. सुप्रीम कोर्ट में लगे केस की कॉपी भी छत्तीसगढ़ सरकार के अधिवक्ताओं ने अदालत के समक्ष पेश की.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वह मामला इंफेक्चुअस हो गया है. तब राज्य सरकार के अधिवक्ताओं ने बताया कि इंफेक्चुअस नहीं हुआ है. चीफ जस्टिस ने पूछा कि इस मामले में आखिरी सुनवाई कब हुई थी. राज्य सरकार के अधिवक्ताओं ने बताया कि 22 जुलाई 2020 को आखिरी बार मामला लगा था. उसमें खारिज करने संबंधी कोई आदेश जारी नहीं हुआ है, और यह मामला स्टैंड है.
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लगा है. तो फिर वहीं से डिसाइड करवाइए. फिर कोई विवाद ही नहीं रहेगा. याचिकाकर्ता ने कहा कि हम दो हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट से मामले में डिसीजन या कोई दिशा निर्देश ले आते हैं. तब तक याचिका खारिज न की जाए. चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता को समय देते हुए अगली सुनवाई तीन हफ्ते बाद रखी है.
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