बेरहामपुर। वरिष्ठ अधिवक्ता और बीजेपी नेता पिताबास पांडा की हत्या मामले में बेरहामपुर पुलिस ने अब तक की जांच में हत्या के पीछे की पूरी साजिश और घटनाक्रम का खुलासा किया है. पुलिस के अनुसार, यह हत्या राजनीतिक और व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता के चलते बड़े पैमाने पर योजना बनाकर की गई थी.

बिहार टीम द्वारा प्रारंभिक सर्वे

बेरहामपुर SP सरवन विवेक एम ने बताया कि FIR दर्ज होने के तुरंत बाद छह वरिष्ठ पुलिस टीमों का गठन किया गया. जांच में पता चला कि सितंबर 10 से 14 के बीच बिहार की एक टीम पांडा की गतिविधियों पर नजर रखने और उनकी हत्या की योजना बनाने के लिए बेरहामपुर आई थी. इस टीम को स्थानीय अपराधियों उमा बिसोई और जोगी उर्फ जोगिंदर राउत ने साथ लाया, जबकि सिमांचल नायक को संपर्क सूत्र बनाया गया. चार सदस्य अल्कापुरी में किराए के घर में ठहरे और मकान मालिक सौम्य दास को गलत जानकारी दी गई कि वे मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए आए हैं.

पहली हत्या की योजना रद्द

टीम ने 14 सितंबर को हत्या को अंजाम देने की योजना बनाई थी. 10 लाख रुपए का सौदा हुआ और एडवांस भुगतान भी किया गया था. लेकिन एक युवा के व्यक्तिगत कारणों (पत्नी का गर्भपात) के चलते यह योजना रद्द हो गई.

दूसरी हत्या टीम का गठन

पहली योजना विफल होने के बाद उमा बिसोई ने स्थानीय युवकों कुरुपति भुइयां और चिंतु प्रधान को दूसरी टीम में शामिल किया. चिंतु बेंगलुरु से आया था. दोनों को पांडा के आवास से केवल 200 मीटर दूर एक निजी बैचलर्स सुविधा में ठहराया गया. शूटिंग के लिए कुरुपति को 5 लाख और ड्राइविंग के लिए चिंतु को 3 लाख रुपए का भुगतान तय किया गया.

हत्या की रात

6 अक्टूबर, कुमार पूर्णिमा की रात, जब पांडा अपने घर पहुंचे, तो आरोपियों ने पहले उनका अभिवादन किया और फिर गोलियां चला दीं. कुरुपति भुइयां ने गोली चलाई जबकि चिंतु मोटरसाइकिल चला रहा था. हमलावरों ने माउसि मां मंदिर और ऑल इंडिया रेडियो मार्ग से फरार होने के बाद कपड़े, जूते और हेलमेट बदलकर हथियार दफन किए और NH मार्ग से बाहर निकल गए. चिंतु ट्रेन से बेंगलुरु लौट गया, जबकि कुरुपति पुरी और बाद में जेमोर में गया, जहां उसे पूर्व विधायक बिक्रम पांडा के सहयोगी सुनील होटा ने चार दिन ठहराया और फिर राज्य से बाहर भेज दिया.

आर्थिक और राजनीतिक मोटिव

जांच में पता चला कि हत्या का कुल सौदा 50 लाख रुपए था, जिसमें 10 लाख एडवांस के रूप में उमा बिसोई को दिया गया. हत्या राजनीतिक और व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता के कारण हुई थी. पूर्व मेयर शीबा शंकर दास (पिंटू दास) और अन्य नेताओं ने पांडा की मौजूदगी को अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए खतरा माना.

गिरफ्तारी और सबूत

अब तक 12 आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में भेजा जा चुका है. पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल हथियार भी जब्त किए हैं. तकनीकी सबूत पिंटू दास को मामले से जोड़ते हैं. उमा बिसोई और कुरुपति भुइयां अब भी फरार हैं. SP सरवन विवेक ने कहा, “यह हत्या एक सुनियोजित और पूर्व-निर्धारित साजिश थी, जिसे राजनीतिक और व्यक्तिगत दुश्मनी ने प्रेरित किया. हम सभी आरोपियों को पकड़ने और न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.”