लक्षिका साहू, रायपुर। राजधानी रायपुर के आकाशवाणी चौक स्थित ग्रास मेमोरियल ग्राउंड के व्यावसायीक उपयोग के खिलाफ आज स्थानीय खिलाड़ियों और खेल प्रेमियों ने विरोध प्रदर्शन किया. शहर में घनी बसाहट के बीच स्थित इस मैदान पर समय-समय पर विभिन्न तरह के कार्यक्रमों और मेलों का आयोजन किया जाता है. जिससे यहां सुबह शाम प्रैक्टिस करने वाले विभिन्न खेलों से जुड़े खिलाड़ीयों, खेल प्रेमियों के साथ-साथ रोजाना वॉक पर आने वाले आमजनों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

ग्रास मेमोरियल ग्राउंड में मेलों के आयोजन से आक्रोशित खिलाड़ियों ने आज मैदान में “खिलाड़ियों को मैदान वापस करो , व्यावसायीकरण बंद करो” के नारों के साथ विरोध प्रदर्शन किया साथ ही आगामी मेले के लिए चल रही व्यवस्था को भी रोकने का प्रयास किया. इसके साथ ही ये मांग रखी कि खेल मैदानों को व्यवसायिकरण से दूर रखा जाए जिससे खिलाड़ियों के खेलने के लिए मैदान की समस्या न हो. मौजूदा खिलाड़ियों का कहना था कि खेल मैदानों की कमी हो चुकी है. आज के युवाओं का ज्यादा वक्त मोबाइल में बीतता है, लेकिन कुछ युवक ऐसे है जो मैदान में खेलने की चाहत अब भी रखते है. उनके लिए मैदान जरूरी है.

विरोध कर रहे खिलाड़ियों ने बताया कि पिछली सरकार में इस संबंध में प्रशासन को पहले भी आवेदन दिए जा चुके है जिसके बाद 6 महीनों तक ऐसी गतिविधियों पर रोक लगी थी लेकिन सरकार बदलने के बाद स्थिति पहले जैसी ही हो गई. आश्वासन दिया जाता है मगर करवाई नहीं होती. खिलाड़ियों ने कहा आज रायपुर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा जाएगा यदि उचित सुनवाई नहीं होती तो खेल मंत्री के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन करेंगे.

बता दें कि राजधानी में खिलाड़ियों के लिए मैदान की कमी को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने डेढ़ साल पहले गॉस मेमोरियल ग्राउंड में मेले समेत किसी भी आयोजन पर बैन लगाया था, जिसे अब हटा लिया गया है. हाल में प्रशासन ने इस मैदान पर एक मेले की अनुमति दे दी है, जो एक महीने तक चलेगा. मेला लगाने की तैयारी भी शुरू हो गई, इसका मतलब अब एक महिने तक यहां खिलाड़ियों खेल से जुड़ी गतीविधियां नहीं कर पाएंगे. यही नहीं, बैन हटने के साथ यहां लगातार कार्यक्रमों का रास्ता भी साफ हो गया.

राजधानी में मैदानों की कमी से जुझ रहे रायपुरियंस

गौरतलब है कि राजधानी रायपुर में फिलहाल बीटीआई शंकरनगर और गाॅस मेमोरियल ग्राउंड ही दो ऐसे बड़े ग्राउंड है जिनमें खेल हो सकते हैं. कुछ साल पहले खिलाड़ियों की मांग की वजह से गाॅस मेमोरियल में आयोजनों पर बैन लगाया गया था. इस बैन की वजह से खिलाड़ियों को काफी राहत मिली थी, लेकिन फिर दोबारा आयोजनों को अनुमति मिलने लगी. शहर के बीचो-बीच होने की वजह से इस मैदान की सामाजिक-राजनीतिक संगठनों में भी काफी मांग है, इसलिए माना जा रहा है कि यहां अब आयोजन ही होंगे और खेल से जुड़ी गतिविधियां लगभग खत्म हो जाएगी. इस मैदान के अलावा बीटीआई ग्राउंड शंकरनगर को भी खेलों के लिए आरक्षित रखा गया था, लेकिन यहां भी सभी तरह के कार्यक्रमों की अनुमति दी जा रही है. खेल के अलावा यहां सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक कार्यक्रम हो रहे हैं.

इन स्टेडियमों के अलावा आस-पास सुभाष स्टेडियम और सप्रे स्कूल का मैदान है लेकिन वहां भी प्रैक्टिस करने वाले इतने खिलाड़ी रहते हैं कि बाकी के लिए जगह नहीं बचती. सप्रे स्कूल मैदान का आकार कई तरह के निर्माण की वजह से घटकर आधा रह गया है. आस-पास कोई मैदान नहीं है, इसलिए इस मैदान पर दर्जनों बच्चों की भीड़ रहती है. इनके अलावा गवर्नमेंट स्कूल समेत कुछ और स्कूली मैदान जहां बच्चे खेलते थे, स्कूल भवन निर्माण से लेकर सड़क के लिए जमीन देने तक की वजह से मैदान छोटे हो गए हैं.

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