रायपुर- छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार का बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार कल 25 दिसंबर को सुबह 11 बजे होने जा रहा है. प्रदेशवासियों को भूपेश मंत्रिमंडल के नये मंत्रियों का बेसब्री से इंतजार है. चुनाव में  प्रदेश के हर संभाग में कांग्रेस को अच्छी सफलता मिली है,जिसके चलते हर अंचल से मंत्रिमंडल में सम्मानजनक स्थान मिलने की मांग की जा रही है. लेकिन छत्तीसगढ़ में कुल 13 मंत्री से ज्यादा मंत्री नहीं बना सकने की सांवैधानिक बाध्यता के चलते किसको मंत्री बनने का सौभाग्य मिलेगा,इस बात को लेकर तरह-तरह के कयास लगाये जा रहें हैं.

लल्लूराम डॉट कॉम ने अपने विश्वस्त सूत्रों से जानकारी हासिल की है,उसके मुताबिक मंत्रिमंडल में संभागवार ये चेहरे शामिल किये जा रहें हैं.

1..सरगुजा संभाग- सरगुजा संभाग से टी.एस.सिंहदेव ने पहले ही मंत्री पद की शपथ ले ली है.इसलिये यहां से एक और विधायक को मंत्री पद की जिम्मेदारी दी जा रही है. मिली जानकारी के मुताबिक प्रतापपुर के विधायक प्रेमसाय सिंह टेकाम का मंत्री बनना तय है,क्योंकि ये टी.एस.सिंहदेव के खास माने जाते हैं और इन्होनें पिछली सरकार में गृहमंत्री रहे रामसेवक पैकरा को बड़े अंतर से पराजित किया है.इसके अलावा प्रेमसाय सिंह अविभाजित मध्यप्रदेश में दिग्विजय सरकार और छत्तीसगढ़ की पहली सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं. सीतापुर से लगातार चार बार विधायक चुने जाने वाले अमरजीत भगत को पीसीसी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है,जबकि आठवीं बार विधायक चुने जाने वाले रामपुकार सिंह को विधानसभा उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकतीहै.इस प्रकार सरगुजा संभाग की सभी 14 सीट जीतने के बाद यहां के चार विधायकों को बड़ी जिम्मेदारी मिलने के संकेत हैं.

2. बिलासपुर संभाग- बिलासपुर संभाग में कांग्रेस को अपेक्षाकृत कम सफलता मिली थी,इसलिये यहां से एक विधानसभा अध्यक्ष और एक मंत्री बनाने की बात सामने आ रही है. सक्ती के विधायक और दिग्विजय सरकार में गृह मंत्री रहे चरणदास महंत को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा रहा है,जबकि खरसिया के विधायक उमेश पटेल को मंत्रिमंडल में शमिल किया जा रहा है. उमेश पटेल झीरम घाटी में शहीद हुए स्वर्गीय नंदकुमार पटेल के सुपुत्र हैं और लगातार दूसरी बार खरसिया से विधायक चुने गये हैं. स्वर्गीय नंदकुमार पटेल जोगी सरकार में गृह मंत्री थे और बाद में पीसीसी अध्यक्ष बनाये गये थे.

3..दुर्ग संभाग- दुर्ग संभाग से चूंकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आते हैं और यहां से एक और वरिष्ठ विधायक ताम्रध्वज साहू को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा चुका है. इसलिये यहां पर क्षेत्रीय संतुलन की बजाय जातीय संतुलन के नाम पर तीन और मंत्री बनाये जा रहें हैं. अल्पसंख्यक कोटे से कवर्धा विधायक मोहम्मद अकबर को मंत्री बनाया जा रहा है, जो चौथी बार विधानसभा में पहुंचे हैं और जोगी सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. इनके अलावा डौंडीलोहारा की विधायक अनिला भेडिया को महिला कोटा से मंत्री बनाया जा रहा है.अनिला दूसरी बार विधायक बनी हैं और अनुसूचित जनजाति वर्ग से आती हैं.इन दोनों के अलावा वरिष्ठता के आधार पर साजा विधायक रविन्द्र चौबे को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा रहा है. चौबे सात बार के विधायक हैं और अविभाजित मध्यप्रदेश के साथ साथ जोगी सरकार में मंत्री और 2008 से 2013 तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं.

4..रायपुर संभाग- रायपुर संभाग से तीन मंत्री बनाये जाने की जानकारी मिली है. रायपुर ग्रामीण के विधायक सत्यनारायण शर्मा का मंत्री बनना तय माना जा रहा है.ये सात बार के विधायक रहने के साथ साथ अविभाजित मध्यप्रदेश और जोगी सरकार में मंत्री रह चुके हैं. साथ ही छत्तीसगढ़ पीसीसी के कार्यकारी अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इनके अलावा आरंग के विधायक शिव डहरिया को अनुसूचित जाति कोटे से मंत्री बनाया जा रहा है.डहरिया तीसरी वार विधायक बनने के साथ साथ वर्तमान में वे पीसीसी के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं. इन दोनों के अलावा ओबीसी कोटे से एक और मंत्री बनाये जा रहें हैं,जिनमें अभनपुर के विधायक धनेन्द्र साहू का नाम शामिल है. साहू जोगी सरकार में मंत्री रह चुके हैं और बाद में इन्हें पीसीसी अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी दी गई थी.इन तीन मंत्रियों के अलावा राजिम के विधायक अमितेष शुक्ला को भी मंत्री बनाये जाने की चर्चा है,लेकिन इनके साथ समस्या ये है कि ब्राह्मण समाज से दो वरिष्ठ विधायकों की दावेदारी ज्यादा मजबूत है.

5..बस्तर संभाग- बस्तर संभाग से तीन दावेदारों में से दो को मंत्री बनाये जाने की जानकारी मिल रही है. भानुप्रतापपुर के विधायक मनोज सिंह मंडावी का नाम तय बताया जा रहा है,जबकि कोंटा विधायक कवासी लखमा और बस्तर विधायक लखेश्वर बघेल में से एक को मंत्री बनाया जा रहा है..इन दोनों में से कवासी लखमा का दावा ज्यादा मजबूत माना जा रहा है,क्योंकि ये लगातार चार बार से विधायक चुने जा रहें हैं और पिछली विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष थे,हालाकि इनका एक नकारात्मक पक्ष ये है कि ये शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाये हैं.