नई दिल्ली। देश में पहली रैपिड रेल सुविधा के पहले चरण का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को उद्घाटन करेंगे. 17 किमी लंबे इस चरण में साहिबाबाद से लेकर दुहाई स्टेशन तक पांच स्टेशन पड़ेंगे, जिन्हें तय करने में 15-17 मिनट का समय लगेगा.

इस परियोजना का गलियारा 82 किलोमीटर लंबा होगा, जिसकी कुल लागत 30,274 करोड़ रुपए है. यह दिल्ली के सराय काले खां स्टेशन से मेरठ के मोदीपुरम तक फैला होगा. मेल-एक्सप्रेस ट्रेन में मेरठ और दिल्ली के बीच डेढ़ घंटे और लोकल ट्रेन में दो घंटे का समय लगता है, लेकिन रैपिड रेल में केवल 55-60 मिनट लगेंगे.

यात्रियों के लिए पहली ट्रेन शनिवार को चलेगी. इसकी फ्रीक्वेंसी 15 शुरुआत में मिनट की होगी. ट्रेनें हर एक स्टेशन पर 30 सेकंड के लिए रुकेंगी. आरआरटीएस नॉर्मल रेलवे प्रणाली और मेट्रो नेटवर्क दोनों से अलग होगा. यह भारत की पहली रेलवे प्रणाली होगी, जिसकी अधिकतम ऑपरेशनल स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटा होगी. रास्ते में 14 स्टेशन होंगे और ट्रेन की औसत गति 100 किमी प्रति घंटा होने की उम्मीद है. डेमो के दौरान ट्रेन की अधिकतम स्पीड 146 किमी प्रति घंटा थी.

हवाई जहाज जैसी होंगी सुविधाएं

रैपिड रेल में हवाई जहाज की तरह यात्रियों को सुविधाएं मिलेंगी. इसमें झुकने वाली सीटों और खिड़कियों के अलावा हाई-टेक कोचों में डिजिटल स्क्रीन लगाई गई है. जिस पर यात्री किसी भी समय ट्रेन का अपना रूट चेक कर सकते हैं. इसके साथ ही डिजिटल स्क्रीन पर चल रही ट्रेन की मौजूदा स्पीड का भी पता लगाया जा सकेगा. हर एक रेक में छह कोच, एक प्रीमियम और पांच स्टैंडर्ड होंगे.

प्रीमियम कोच में सफर करने वालों को फायदा

प्रीमियम कोच में सफर करने वाले यात्रियों को ज्यादा किराया देना होगा. प्रीमियम कोच के यात्रियों के लिए स्टेशनों पर एक अलग वेटिंग लाउंज होगा. स्टैंडर्ड कोचों में से एक कोच महिलाओं के लिए आरक्षित होगा. रैपिड रेल में 50% से ज्यादा महिला कर्मचारी होंगी. स्थानीय लोगों का रोजगार सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली और मेरठ के बीच रहने वाले लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी.