रायपुर। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जे) आगामी विधानसभा सत्र में पीएम मोदी के लिए धन्यवाद प्रस्ताव लेकर आएगी. इसके पहले अध्यक्ष अमित जोगी पार्टी की कोर कमेटी में प्रस्ताव प्रस्तुत करेगी. अमित जोगी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की छः उपलब्धियाँ उन्हें राष्ट्रीय स्तर के नेता बनने की महत्वाकांक्षा रखने वाले अन्य सभी राजनीतिज्ञों से एक अलग पायदान में स्थापित करता है: पहला, स्वच्छता अभियान को राष्ट्रीय मुद्दा बनाना; दूसरा, उच्च स्तर के आवास ग्रामीणों को उपलब्ध कराना; तीसरा, कश्मीर में अनुच्छेद 35-ब और 370 को समाप्त कर एक ऐतिहासिक भूल को सुधारने का सराहनीय और साहसी कदम लेते हुए उसे राष्ट्रीय मुख्यधारा से जोड़ना; चौथा, अंतराष्ट्रीय स्तर में भारत को उनके व्यक्तित्व और अन्य वैश्विक नेताओं के साथ व्यक्तिगत सम्बन्धों के आधार पर अभूतपूर्व सम्मान और महत्व दिलाना; पाँचवा, उच्च स्तरीय राजनीति में पनपते VIP कल्चर, भ्रष्टाचार और परिवारवाद पर नकेल कसना; और छटवा, ‘सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास’ की समावेशी नीतिगत बात करना। इन्हीं छः उपलब्धियों के कारण जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने दलगत राजनीति से ऊपर उठके आगामी विधान सभा सत्र में उनके प्रति धन्यवाद प्रस्ताव लाने का अभूतपूर्व और ऐतिहासिक फ़ैसला लिया है।

किंतु इसका मतलब नहीं है कि हम किसी भी सूरत में 15 सालों से छत्तीसगढ़ में बेहद कम मतों के अंतर से शासन करने के बाद 15 सीटों में सिमट जाने वाली डॉक्टर रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा का समर्थन करेंगे। इसका सबसे ताज़ा प्रमाण है कि 2019 में हमारे केंद्रीय पार्लियामेंटरी बोर्ड ने सर्वसम्मति से कांग्रेस आलाकमान के महासमुंद लोक सभा लड़ने और भाजपा आलाकमान के कोरबा लोक सभा चुनाव लड़ने के प्रस्ताव, दोनों को सिरे से ख़ारिज कर दिया था। इसका एकमात्र कारण था कि हम अपने दल की स्थानीयता- ‘छत्तीसगढ़ प्रथम’- के आधार पर पहचान हर क़ीमत पर बरकरार रखना चाहते हैं।

साथ ही हमें यह भी अहसास है कि किसी भी सफल लोकतंत्र के लिए एक शक्तिशाली और सचेत विपक्ष का होना बेहद आवश्यक है। वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का दूर दूर तक- उनके बेहद नज़दीकी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भारत के गृह मंत्री अमित शाह को छोड़- कोई भी विकल्प नज़र नहीं आ रहा है। इंडीयन नैशनल कांग्रेस के लिए जो नेहरू-गांधी परिवार बहुत लम्बे समय तक सबसे बड़ी ताक़त थी, वो आज उसकी सबसे बड़ी कमजोरी बन चुकी है। इस बात का अहसास कांग्रेसियों को छोड़ पूरे देश को हो चुका है, इसलिए मैं इस विषय में और कुछ नहीं कहूँगा। 2014 (44 सीटें) और 2018 (52 सीटें) के लोक सभा चुनावी नतीजों से उसे समझ में आ जाना चाहिए था कि उसे अपने नेतृत्व की तलाश उस एक परिवार के बाहर करनी थी किंतु ऐसा न करके देश की सबसे पुरानी पार्टी ने देश के 29 में से 3 राज्यों- मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़- को छोड़ खुद को अप्रासंगिक करने का आत्मघाती निर्णय ले लिया है, तो इसमें कोई कुछ नहीं कर सकता। छत्तीसगढ़ की जनता ने कांग्रेस को ऐतिहासिक जनादेश बदलाव लाने के उद्देश से दिया था।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में विगत 10 महीनों में सरकार ‘बदलाव’ की बात को भूल कर ‘बदले’ की राह पर निकल पड़ी है। 10 महीने के कार्यकाल की 10 उपलब्धियाँ इस प्रकार है:

(1) 10 दिनों में हर किसान का हर क़र्ज़ा माफ़ करने की घोषणा करने वाली सरकार 10 महीने में मात्र 10% क़र्ज़ा माफ़ कर पाई है;
(2) शराबबंदी की जगह शराब के दाम, ब्रांड, काउंटर और टाइम बढ़ाकर छत्तीसगढ़ को शराबमण्डी में बदल चुकी है;
(3) प्रशासनिक अक्षमता और वित्तीय दिवालियापन के कारण सरकारी गौठान गौहत्या का केंद्र बन चुके हैं;
(4) बिजली बिल हाफ़ करने की जगह बिजली हाफ़ हो चुकी है;
(5) शासकीय सेवाओं के ट्रान्स्फ़र, चखना और राशन दुकानों, कोयले, लोहे, रेत और मुर्रम की खदानों के ठेकों की बंदरबाँट और शराब की अवैध तस्करी ने भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं;
(6) मुख्यमंत्री और उनके चुनिंदा सलाहकारों ने बाकि मंत्रियों के सभी अधिकार छीनकर उन्हें अक्षम बना दिया है;
(7) राजनीतिक विरोध की आवाज़ को डराने, दबाने और कुचलने के लिए पुलिसतंत्र का खुला दुरुपयोग और क़ानून की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं;
(8) पैसे, पुलिस और प्रशासन के बल पर विधान सभा उपचुनावों, नगरी निकाय और पंचायती राज चुनावों में दलबदल और ख़रीद-फ़रोख़्त को बढ़ावा देके सीधे-सीधे लोकतंत्र का गला घोटा जा रहा है;
(9) साम्प्रदायिकता और जातिवाद का नासूर फैलाने में मुख्यमंत्री और उनके पिता जी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं; और
(10) अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए कभी गोडसे, कभी वीर सावरकर और कभी मर्यादा पुरोषोत्तम भगवान राम को राजनीतिक रोटियाँ सेकने के लिए बेवजह घसीटा जा रहा है।

ऐसे में सरकार को घेरने का दायित्व प्रमुख विपक्षी दल भाजपा का होना चाहिए लेकिन उनके शीर्ष प्रादेशिक नेता (जैसे डॉक्टर रमन सिंह) खुद को और उनके परिवार को भ्रष्टाचार की जाँच से बचाने के उद्देश से या फिर मुख्यमंत्री से अपनी मित्रता निभाने में (जैसे बृजमोहन अग्रवाल) मौन धारण करे हुए हैं। छत्तीसगढ़ में भाजपा कोमा में हैं। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को इस बात का आभास है कि उनकी प्रदेश इकाई विरोध के नाम पर केवल बयानबाज़ी तक ही सीमित है। इसलिए उन्होंने लोक सभा में अपने सभी सांसदों का टिकट काट दिया और 2023 में सभी विधायकों का भी यही हश्र होगा। नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह और उनके मार्गदर्शक आर॰एस॰एस॰ के सरसंघचालक मोहन भागवत जी को इस बात का अहसास है कि छत्तीसगढ़ में उनके पास नया नेतृत्व विकसित करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है।

राष्ट्रहित में हम मोदी सरकार की किसी भी जनकल्याणकारी फ़ैसले का मात्र विरोध करने के लिए विरोध नहीं करेंगे किंतु प्रदेशहित में हमारे लिए कांग्रेस और भाजपा का उपरोक्त कारणों से विरोध करना आवश्यक ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ की अस्मिता और स्वाभिमान को बचाए रखने के लिए अनिवार्य भी है।

अगले चार सालों में हमारा प्रमुख और एकमात्र उद्देश यह होना चाहिए कि कांग्रेस सरकार की विफलताओं को उजागर करने में कोमा में पड़ी भाजपा की जगह जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका में नज़र आए। इसकी शुरुआत हमें नगरी निकाय और पंचायती राज चुनावों से करनी पड़ेगी। यह तभी सम्भव है जब हम स्थानीयता- ‘छत्तीसगढ़ प्रथम’- की भावना को प्रदेश्वासियों के दिमाग़ और दिल में जागृत करें। ऐसा तभी हो पाएगा जब हम सही समय पर सही मुद्दे सही तरीक़े से जनता के बीच में लेके जायें- और छत्तीसगढ़ के प्रथम और एकमात्र क्षेत्रीय दल होने के नाते सभी छत्तीसगढ़वासियों का दिल जीतें।