प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Narendra Modi) ने बुधवार शाम को दिल्ली में सभी बीजेपी विधायकों और सांसदों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की. इस बैठक में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता(Rekha Gupta), दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा (Virendra Sachdeva)और बी एल संतोष भी शामिल थे. सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री ने 3 घंटे तक विधायकों के साथ संवाद किया, जिसमें उन्होंने सहजता से बातचीत की और कुछ विधायकों से सवाल भी पूछे. इस दौरान लगभग 15 विधायकों से उन्होंने चर्चा की, जो उनकी बातचीत के आधार पर थी.
प्रधानमंत्री ने इस बैठक में संगठन, सरकार और विधायकों के महत्व को समझाने का प्रयास किया. उन्होंने विधायकों को स्पष्ट संदेश दिया कि उन्हें जनता के बीच सक्रिय रहना चाहिए, अपनी छवि को सुधारना चाहिए और संगठन के लिए विशेष प्रयास करने चाहिए. इन बिंदुओं को स्पष्ट करने के लिए प्रधानमंत्री ने अपने जीवन के विभिन्न संदर्भों का उल्लेख किया.
प्रधानमंत्री ने विधायकों को स्पष्ट निर्देश दिया कि उन्हें अपने क्षेत्रों में सरकारी अधिकारियों के साथ बेवजह उलझने से बचना चाहिए. उन्होंने बताया कि अधिकारियों के साथ सहयोग करना आवश्यक है, क्योंकि इससे विधायकों को अधिक लाभ होगा. प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि अधिकारियों को डराना या उनसे बेवजह विवाद करना उचित नहीं है, क्योंकि इससे कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिलेगा. इसके अलावा, उन्होंने विधायकों को सलाह दी कि वे ट्रांसफर और पोस्टिंग के मामलों से दूर रहें, क्योंकि ये मुद्दे अक्सर अनावश्यक जटिलताओं का कारण बनते हैं.
अपनी छवि को बेहतर कीजिए
प्रधानमंत्री ने विधायकों और सांसदों को सलाह दी कि वे किसी एक विशेष मुद्दे को उठाएं और उसे अपने कार्यों का आधार बनाएं, जिससे उनकी छवि जनता के बीच बेहतर हो सके. उन्होंने केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडवीया का उदाहरण देते हुए बताया कि वे रविवार को साइकिल चलाते हैं और इसे एक मिशन के रूप में अपनाया है. इस पहल के माध्यम से उन्होंने न केवल अपनी पहचान बनाई है, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डाला है. प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी को अपने क्षेत्र में किसी एक मुद्दे को लेकर एक अलग पहचान बनाने का प्रयास करना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि जिलों और विधानसभा स्तर पर संगठन को मजबूत करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए. उन्होंने उदाहरण के तौर पर बताया कि विधायकों को अपने संगठन के सदस्यों के साथ मिलकर कई गतिविधियाँ करनी चाहिए. जैसे, यदि टिफिन कार्यक्रम का आयोजन किया जाए, तो महीने में चार मंडल अध्यक्षों के साथ बैठकर चर्चा करने से संगठन की एकता बढ़ेगी और आपकी व्यक्तिगत छवि भी उभरकर सामने आएगी. इस प्रकार, आप संगठन के स्तर पर मौजूदा समस्याओं को समझ सकेंगे और आपके संगठन के लोग भी सरकार की गतिविधियों से अवगत हो सकेंगे.
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प्रधानमंत्री मोदी ने विधायकों को एक स्पष्ट संदेश दिया कि उन्हें जनता के बीच एक सुलभ नेता के रूप में अपनी छवि स्थापित करनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी समय और किसी भी मुद्दे पर ऐसा कोई कदम न उठाएं, जिससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचे. उनका सुझाव था कि सभी को सुलभ बनने का प्रयास करना चाहिए और जनता के बीच अपनी एक विशिष्ट पहचान बनानी चाहिए.
प्रधानमंत्री ने एक उदाहरण के माध्यम से बताया कि एक रात 3:20 बजे उन्हें एक फोन आया, जिसमें बताया गया कि एक बड़ा ट्रेन हादसा हुआ है और वहां से जोर-जोर से आवाजें आ रही हैं. उन्होंने तुरंत अपने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस घटना की जानकारी प्राप्त करें. अधिकारियों ने पुष्टि की कि वास्तव में एक ट्रेन दुर्घटना हुई है. इसके बाद, प्रधानमंत्री ने रेस्क्यू ऑपरेशन की योजना बनाने के लिए दिशा-निर्देश दिए और सुबह होते-होते वह भी घटना स्थल पर पहुंच गए. इस उदाहरण के जरिए प्रधानमंत्री यह संदेश देना चाहते थे कि किसी भी कॉल को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, विशेषकर जब वह अनियमित समय पर की जा रही हो.
प्रधानमंत्री मोदी ने विधायकों को सलाह दी कि वे अनावश्यक या अत्यधिक फोन वार्तालाप से बचें. उन्होंने बताया कि कई बार फोन पर बातचीत के दौरान ऐसी बातें हो जाती हैं जिनका अंदाजा नहीं होता. उन्होंने स्पष्ट किया कि फालतू बातचीत से बचना चाहिए, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि यदि कोई कार्यकर्ता या कोर वोटर फोन करके कुछ महत्वपूर्ण जानकारी साझा कर रहा है, तो उनकी बात सुनना आवश्यक है. इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि यदि किसी कारणवश फोन मिस हो जाए, तो उन लोगों को वापस कॉल करके उनकी बातें सुननी चाहिए.
दिल्ली में हम 27 साल तक सत्ता से बाहर क्यों रहे
प्रधानमंत्री ने बातचीत के दौरान यह संकेत दिया कि हमें आत्ममंथन करने की आवश्यकता है कि हम दिल्ली की सत्ता से 27 वर्षों से बाहर क्यों हैं. इसके पीछे की कारणों को समझना आवश्यक है, ताकि हम उन आधारों पर आगे की रणनीति बना सकें और जनता के बीच अपनी राजनीतिक उपस्थिति मजबूत कर सकें. उन्होंने सामूहिक नेतृत्व पर भी जोर दिया, यह कहते हुए कि सभी को साथ लेकर चलने की आवश्यकता है, ताकि सरकार और संगठन प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें.
प्रधानमंत्री ने तीन घंटे की बातचीत के दौरान सभी विधायकों से व्यक्तिगत रूप से संवाद किया, जैसे कि एक गार्जियन. उन्होंने विधायकों से यह भी पूछा कि जब उन्हें पता चला कि वे प्रधानमंत्री से मिलने वाले हैं, तो उन्हें कैसा महसूस हुआ. क्या उन्होंने इस अवसर की चर्चा अपने परिवार के साथ की कि वे प्रधानमंत्री से मिलने जा रहे हैं? इस प्रकार के सवालों ने एक व्यक्तिगत और सहज माहौल बनाया, जिसमें प्रधानमंत्री ने विधायकों के साथ खुलकर बातचीत की.
सोशल मीडिया पर रहें एक्टिव
प्रधानमंत्री ने सभी विधायकों को निर्देश दिया कि वे सोशल मीडिया पर सक्रिय रहें. उन्होंने कहा कि उन्हें अपने क्षेत्र में किए गए कार्यों की जानकारी जनता तक पहुंचानी चाहिए. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विधायकों को ऐसे व्यक्तियों की पहचान करनी चाहिए जो उनके कार्यों को जनता के बीच प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर सकें, और उनके साथ संवाद बढ़ाना चाहिए ताकि उनकी सकारात्मक बातें अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सकें.
प्रधानमंत्री ने एक उदाहरण प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने बताया कि उनके एक मित्र, जो सांसद थे, जब भी अपनी निर्वाचन क्षेत्र से बाहर होते थे, तो एक रिकॉर्डेड संदेश छोड़ देते थे. इस संदेश में वे कहते थे कि वे बाहर हैं और जब लौटेंगे, तब जनता की समस्याओं का समाधान करेंगे. लेकिन जब चुनाव आया, तो प्रधानमंत्री ने बताया कि उनके मित्र चुनाव हार गए. जब उन्होंने कारण पूछा, तो मित्र ने बताया कि जनता को यह लगा कि उनका रिकॉर्डेड संदेश असली संवाद नहीं था, बल्कि वे खुद जनता से मिलकर बात नहीं कर रहे थे. प्रधानमंत्री इस उदाहरण के माध्यम से यह स्पष्ट करना चाहते थे कि नेताओं को जनता के बीच रहना चाहिए और उनसे लगातार संवाद करना चाहिए.
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