प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (शुक्रवार, 21 नवंबर) जोहांसबर्ग, दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना हुए, जहां वे 21 से 23 नवंबर 2025 तक होने वाले 20वें G20 लीडर्स’ समिट में हिस्सा लेंगे। यह शिखर सम्मेलन दक्षिण अफ्रीका की मेजबानी में आयोजित हो रहा है और विशेष बात यह है कि पहली बार G20 समिट अफ्रीकी महाद्वीप में हो रहा है।दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के आमंत्रण पर यात्रा पर रवाना होते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह सम्मेलन कई मायनों में महत्वपूर्ण है। उन्होंने याद दिलाया कि भारत की 2023 की G20 अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकन यूनियन को G20 की स्थायी सदस्यता प्रदान की गई थी। अब यह समिट अफ्रीकी महाद्वीप में आयोजित हो रहा है, जो उस ऐतिहासिक कदम को और मजबूत बनाता है।
क्या है इस साल के G20 सम्मेलन की थीम
इस वर्ष के G20 सम्मेलन की थीम ‘Solidarity, Equality and Sustainability’ (एकजुटता, समानता और स्थिरता) रखी गई है, जो भारत और ब्राजील में हुए पिछले दो सम्मिट्स की निरंतरता को आगे बढ़ाती है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वे सम्मेलन में ‘वसुधैव कुटुंबकम’—One Earth, One Family, One Future की विचारधारा के आधार पर भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत करेंगे।
भारतीय मूल के लोगों से मिलेंगे PM मोदी
सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी 6वीं IBSA (India-Brazil-South Africa) समिट में भी भाग लेंगे, जहां तीनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग, वैश्विक चुनौतियों, आर्थिक साझेदारी और विकास एजेंडा पर विस्तृत चर्चा होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में भारतीय मूल के लोगों की बड़ी आबादी रहती है और वे वहां भारतीय समुदाय से मिलने के लिए भी उत्सुक हैं। दक्षिण अफ्रीका का भारतीय डायस्पोरा दुनिया के सबसे बड़े भारतीय प्रवासी समूहों में से एक माना जाता है।
विदेश मंत्रालय के सचिव सुधाकर दलेला के अनुसार दक्षिण अफ्रीका में होने वाले G20 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पांच प्रमुख कारणों से विशेष फोकस रहेगा।
अफ्रीकी यूनियन की सदस्यता: 2023 में भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी यूनियन को स्थायी सदस्यता दिलाई गई थी, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका निर्णायक रही।
ग्लोबल साउथ की आवाज: प्रधानमंत्री मोदी लगातार वैश्विक मंचों पर ग्लोबल साउथ की चिंताओं को प्रमुखता से उठाते रहे हैं। अफ्रीका महाद्वीप के अधिकांश देश इसी समूह का हिस्सा हैं।
शीर्ष नेताओं की गैर-मौजूदगी: ट्रंप, पुतिन और शी जिनपिंग की अनुपस्थिति में एक प्रभावशाली वैश्विक नेता के रूप में पीएम मोदी की उपस्थिति अन्य सदस्य देशों का विशेष ध्यान आकर्षित करेगी।
IBSA बैठक का महत्व: G20 के दौरान इंडिया-ब्राजील-साउथ अफ्रीका (IBSA) फोरम की बैठक भी होगी। मौजूदा भू-राजनीतिक माहौल और व्यापार से जुड़े ट्रंप टैरिफ जैसे मुद्दों के बीच इस मंच पर प्रधानमंत्री मोदी के विचारों पर न सिर्फ इन तीन देशों, बल्कि दुनिया के अन्य देशों की भी नजर रहेगी।
द्विपक्षीय बैठकें: पीएम मोदी कई देशों के नेताओं से मुलाकात करेंगे। इनमें जापान की नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री साना तकाईची और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानिज के साथ संभावित द्विपक्षीय बैठकें शामिल हैं। उनकी सक्रिय मौजूदगी ग्लोबल साउथ और अफ्रीका की आवाज को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत बनाएगी।
G20 क्यों अहम है?
G20 दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का एक अनौपचारिक वैश्विक मंच है, जिसका उद्देश्य आर्थिक नीतियों में समन्वय स्थापित करना, वैश्विक चुनौतियों पर साझा समाधान ढूंढना और स्थिरता को बढ़ावा देना है। इसमें कुल 21 सदस्य शामिल हैं, जो वैश्विक GDP के लगभग 85%, विश्व व्यापार के 75% और दुनिया की लगभग 60% आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत की अध्यक्षता के दौरान 2023 में अफ्रीकी यूनियन को G20 की सदस्यता दिलाना प्रधानमंत्री मोदी की एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक उपलब्धि मानी जाती है। इस कदम ने न केवल G20 को अधिक प्रतिनिधिक बनाया, बल्कि ग्लोबल साउथ की आवाज को भी मजबूती प्रदान की।
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