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रायपुर। देश के अग्रणी कवियों में शुमार किए जाने वाले डॉ. कुमार विश्वास की मौजूदगी कवि सम्मेलनों में जान फूंक देती है. उनकी कविताओं की वजह से न केवल देश बल्कि विदेशों में प्रशंसकों की एक अच्छी-खासी तादात हो चुकी है. उनकी प्रतिभा के छत्तीसगढ़ के लोग भी कायल हैं, जिसका परिणाम है कि वे एक बार फिर NEWS 24 MP-CG और लल्लूराम डॉट कॉम के सौजन्य से हो रहे ‘देसी टॉक कवि सम्मेलन’ की शान बढ़ाएंगे. इसे भी पढ़ें : कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर छत्तीसगढ़ समेत 8 राज्यों में चुनाव समिति का किया गठन, जानिए किसे-किसे मिली जिम्मेदारी…
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कुमार विश्वास का जन्म 10 फरवरी, 1970 को उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद के पिलखुआ में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. उनके पिता डॉ. चन्द्रपाल शर्मा, आरएसएस डिग्री कॉलेज पिलखुआ में प्रवक्ता रहे. उनकी माता रमा शर्मा गृहिणी हैं. वे चार भाइयों और एक बहन में सबसे छोटे हैं. कुमार विश्वास की पत्नी का नाम मंजू शर्मा है. जिनसे उनकी दो बेटियां कुहू और अग्रता हैं.
कुमार विश्वास ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा लाला गंगा सहाय विद्यालय, पिलखुआ से प्राप्त की. राजपूताना रेजिमेंट इंटर कॉलेज से बारहवीं उत्तीर्ण होने के बाद उनके पिता उन्हें इंजीनियर (अभियंता) बनाना चाहते थे. लेकिन कुमार विश्वास ने बीच में ही वह पढ़ाई छोड़ दी. साहित्य के क्षेत्र में आगे बढ़ने के ख्याल से उन्होंने स्नातक और फिर हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर के पश्चात उन्होंने ‘कौरवी लोकगीतों में लोकचेतना’ विषय पर पीएचडी प्राप्त किया. उनके इस शोध-कार्य को 2001 में पुरस्कृत भी किया गया.
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कुमार विश्वास को श्रृंगार रस का कवि माना जाता है. उनके द्वारा लिखा काव्य संग्रह ‘कोई दीवाना कहता है’ युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय रहा. उन्होंने अपने से पूर्व में हुए महनीय कवियों को श्रद्धांजलि देते हुए ‘तर्पण’ नामक टीवी कार्यक्रम भी बनाया, जिसमे स्वयं विश्वास ने पुराने कवियों की कविताओं को अपना स्वर दिया है.
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विभिन्न पत्रिकाओं में नियमित रूप से छपने के अलावा कुमार विश्वास की दो पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं- ‘इक पगली लड़की के बिन’ (1996) और ‘कोई दीवाना कहता है’ (2007 और 2010 दो संस्करण में). विख्यात लेखक स्वर्गीय धर्मवीर भारती ने डॉ॰ विश्वास को इस पीढ़ी का सबसे ज़्यादा सम्भावनाओं वाला कवि कहा है. वहीं हिन्दी गीतकार ‘नीरज’ ने उन्हें ‘निशा-नियामक’ की संज्ञा दी है.
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