सतीश चांडक, सुकमा। पोलावरम बांध को लेकर जब से सर्वे टीम पहुँची तब से विरोध में लगातार सभाएं और बैठकों का दौर शुरू है. बांध के विरोध को लेकर आंध्रप्रदेश, तेलगांना में बंद का आह्वान किया गया. वही सरदर्दी गांव चेट्टी में भद्राचलम और मलकानगिरी के विधायक पहुँचे. शबरी संघर्ष समिति के भी लोग इस बैठक में पहुँच चुके है. और कुछ ही देर में बैठक शुरू होने वाली है.

राष्ट्रीय प्रोजेक्ट पोलावरम बांध निर्माण से जिले के कही गांव का अहिस्तत्व खतरे में है. ऐसे में कोटा ब्लाक मुख्यालय में विरोध प्रदर्शन के बाद आज पड़ोसी प्रदेश तेलगांना के चेट्टी में बैठक बुलाई गई है. साथ ही वहां आज बंद भी बुलाया गया है.

आंध्रपदेश के भद्राचलम विधायक सरनमराजेय्या, ओड़ीसा के मलकानगिरी के विधायक मीडियम बाबूराव अपने समर्थकों  के साथ पहुँच चुके. वही कोंटा से शबरी संघर्ष समिति के सदस्य भी पहुँच चुके है. शबरी संघर्ष समिति के अध्यक्ष हरिसिंह ने चर्चा करते हुए यह जानकारी दी है.  उन्होंने बताया कि बांध को लेकर सभी गंभीर है. यही वजह है कि तीनों राज्यो के लोग एकजुट हो रहे हैं.

वही समिति के सदस्य पी विजय ने बताया कि कुछ ही देर में बैठक शुरू होने वाली है. बांध निर्माण में डुबान में आने वाले गाँवो के लिए सरकार क्या कर रही है. साथ ही आगे की क्या रणनीति होगी उस पर आज चर्चा होगी.

आखिर क्यों आमने सामने हैं बांध को लेकर दो राज्य के लोग

  •  पोलावरम अन्तर्राज्यीय परियोजना के लिए समझौते पर दस्तखत 7 अगस्त 1978 को अविभाजित मध्यप्रदेश की जनता पार्टी की सरकार ने किया था. उस समय मुख्यमंत्री वीरेन्द्र कुमार सकलेचा थे. इसके बाद रिवाईज समझौता 2 अप्रैल 1980 को किया गया.
  • पोलावरम बांध के लिए हुए अन्तर्राज्जीय समझौते में अविभाजित मध्यप्रदेश (अब छत्तीसगढ़) अविभाजित आन्ध्रप्रदेश (अब तेलगाना सीमांध्र) व ओडिशा राज्य शामिल है.
  •  परियोजना का उदेश्य सिंचाई, विद्युत उत्पादन, कृष्णा कछार में जल व्यपवर्तन है.
  • परियोजना सुकमा जिले की सीमा के नजदीक तेलांगना में गोदावरी बैराज से 42 किमी. उपर गोदावरी नदी पर निर्माणाधीन है.
  •  बांध का सम्पूर्ण जलग्रहण क्षेत्र 306643 वर्ग किलोमीटर और लम्बाई 2160 मीटर पक्का बांध सहित होगा.
  •  एफआरएल 45.72 मीटर, कुल जलभराव 5511 मिलियन घन मीटर, डूबान क्षेत्र 63691 हेक्टेयर बांध से 297000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी.
  •  बांध से 970 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा.
  •  छत्तीसगढ़ को 1.5 टीएमसी पानी मिलेगा पर बिजली में एक यूनिट की भी हिस्सेदारी नहीं मिलेगी.
  •  परियोजना की लागत 8 हजार करोड़ रूपए से अधिक हो चुकी है.
  •  डूबान में सुकमा जिले के कोंटा सहित 18 गांव और करीब आठ हजार हेक्टेयर भूमि के डूबान में जाने की आशंका है. नेशनल हाईवे 30 का करीब 13 किमी. हिस्सा डूबने का दावा किया जा रहा है.
  •  कोंटा तहसीलदार की रिर्पोट के अनुसार दोरला आदिवासी प्रभावित होंगे और इससे इनके विलुप्त होने का खतरा बढ़ जाएगा.