सरगुजा। सरगुजा पुलिस एक बार फिर सुर्ख़ियों में है, दरिमा पुलिस पर आरोप है की क्रिसमस का त्यौहार मना रहे कुछ ग्रामीणों को दरिमा थाने में पदस्थ प्रशिक्षु डीएसपी दीपक मिश्रा ने बे-वजह थाने में लाकर बैठा दिया और उनके साथ-साथ महिलाओं के साथ भी मारपीट किया. ग्रामीण अब प्रशिक्षु पुलिस अधिकारी के ख़िलाफ़ लामबन्द होकर अनुसूचित जनजाति थाने में शिकायत करने पहुँचे वहीं लुंड्रा विधायक चिंतामणि के नेतृत्व में ग्रामीणों ने एसपी से प्रशिक्षु डीएसपी की शिकायत की.
घटना 25 दिसंबर की रात की बताई जा रही है पूरा गांव क्रिसमस का त्यौहार मनाने इकट्ठा हुआ था लेकिन जिस पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था सम्हालने की जिम्मेदारी होती है वही पुलिस शराब के नशे में वहां जमकर उत्पात मचाते हुए पूरे त्यौहार के माहौल को खराब करने पूजा स्थल पर पहुँच गए. कुछ ऐसे लोग जो पुलिस के इस हरकत का विरोध करने सामने आये तो पुलिस ने उन्हें ही गिरफ्तार कर थाने में लाकर बैठा दिया. 15 घंटे तक 5 निर्दोष युवकों को पुलिस ने थाने में बैठा रखा और उनसे मारपीट भी की.
इस पूरे घटना में ख़ास बात यह रही है कि सरगुजा में जिन आदिवासी महिलाओं को पुलिस के द्वारा ट्रेनिंग देकर उन्हें महिला कमांडो का ख़ास दर्जा दिया गया है, ताकि गांव में किसी भी प्रकार से शांति भंग न हो अब वही महिला कमांडो इस बात की शिकायत कर रही हैं की दरिमा थाना में पदस्थ एक पुलिस अधिकारी ने ही पूरी शांति व्यवस्था भंग कर रखी है और व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने गलत कार्रवाई कर सिर्फ ग्रामीणों को परेशान कर रहे हैं. वहीं प्रशिक्षु अधिकारी दीपक मिश्रा ने आरोपों पर सफाई दी है कि वो खुद भी शराब नहीं पीते और न ही उनका कोई स्टाफ शराब पीता है इसलिए पुलिस पर जो आरोप है उसमें कोई सच्चाई नहीं है.