गया। जिले में पुलिस ने एक आर्मी जवान मनोज कुमार के साथ अमानवीय व्यवहार करते हुए उसे सरेआम पिटाई की और फिर थाने ले जाकर उसकी कमर में गमछा बांध दिया। इसके बाद, जवान से ‘सकुशल हूं’ लिखवाकर उसे छोड़ दिया गया। यह पूरी घटना पुलिस के कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाती है और इसके बाद स्थानीय नागरिकों और अधिकारियों ने इसकी कड़ी निंदा की है।

प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, यह जवान किसी कारणवश पुलिस के संपर्क में आया था, लेकिन पुलिस ने उसे बिना किसी कारण के अपमानित करते हुए बुरी तरह पीटा। थाने में उसे गमछा बांधने और ‘सकुशल हूं’ लिखवाने की कार्रवाई बेहद अपमानजनक और असंवेदनशील थी, जिससे जवान के सम्मान को ठेस पहुंची।

यह घटना बिहार पुलिस के व्यवहार और उनके कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंताएं उत्पन्न करती है। सवाल उठता है कि आखिर एक आर्मी जवान, जो देश की सेवा में है, उसके साथ इस प्रकार का बर्ताव क्यों किया गया। यह न केवल पुलिस के अनुशासन पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि मानवाधिकारों के उल्लंघन का भी मामला बनता है।

इस घटना के बाद, स्थानीय निवासियों ने इस कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए पुलिस प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग की है। यह घटना पुलिस और सैन्य अधिकारियों के बीच संबंधों को लेकर भी चर्चा का विषय बन गई है और यह पुलिस की जवाबदेही और अपने व्यवहार में सुधार की आवश्यकता को उजागर करती है।

गमछा बांधकर थाने ले गए


यह घटना तब घटी जब मनोज कुमार जो झारखंड से मजदूरों को छोड़कर अपने गांव पाठक बिगहा लौट रहे थे, बहेरा थाने के पास पुलिस द्वारा की जा रही वाहन चेकिंग में फंस गए। पुलिस ने जब उनकी बाइक को रोका, तो मनोज ने बताया कि उनके पास हेलमेट नहीं था। इसके बाद पुलिस ने उनसे जुर्माना भरने के लिए कहा। मनोज ने तुरंत जुर्माना भरने के लिए सहमति जताई, लेकिन इसी दौरान एक पुलिसकर्मी ने उनसे गलत भाषा में बात करना शुरू कर दिया।

मनोज ने जब इस अभद्र भाषा का विरोध किया, तो पुलिसकर्मी गुस्से में आ गए और उन्होंने मनोज पर लाठी और प्लास्टिक पाइप से हमला कर दिया। इस दौरान मनोज का आरोप है कि एक अधिकारी के आदेश पर उन्हें अपमानित किया गया और उनकी कमर में गमछा बांधकर थाने ले जाया गया। थाने में, पुलिस ने मनोज से जबरन एक कागज पर ‘सकुशल हूं’ लिखवाया और फिर रात 10 बजे उन्हें छोड़ दिया।