गोविंद पटेल, कुशीनगर. अपने कारनामों से हमेशा खबरों में रहने वाली कुशीनगर पुलिस एक बार फिर सुर्खियों में है. जिले की कसया थाने की पुलिस मोबाइल फोन चोरी के घटना का पर्दाफाश सोमवार को किया. घटना के पर्दाफाश का पुलिस एक तरफ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर घटना की जानकारी मीडिया को दे रही थी. वहीं दूसरी तरफ जेल भेजे जा रहे आरोपियों के परिजनों ने हंगामा खड़ा करते हुए कुशीनगर पुलिस चौकी पर तैनात प्रभारी विवेक पांडेय सहित दर्जनों पुलिस कर्मियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस मोबाइल चोरी के मामले में मोबाइल खरीदने वाले युवकों को जेल भेज रही है.
परिजनों का आरोप है कि जो युवक पुलिस को पैसे दे दिए हैं उनको मामले से नाम हटाते हुए उनको छोड़ दिया गया है. वहीं जो आर्थिक तंगी के चलते पैसे देने में असमर्थता व्यक्त कर रहा है उसको जेल भेज रही है. पुलिस इस मामले में कुछ आरोपियों से 20 से 25 हजार वसूली के बाद भी उनको जेल भेज दिया. आरोपियों को पिछले कई दिनों से थाने पर बैठाया गया था. उनसे मोलभाव किया जा रहा था, जो पैसे दे देता है उन युवाओं को छोड़ दिया जाता है. ऐसा कह के परिजनों ने हंगामा करते हुए पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए. वहीं यह गंभीर आरोप कहीं ना कहीं यह साबित करती है कि पुलिस उन लोगों से वसूली कर निर्दोष लोगों को जेल भेजने का काम कर रही है. वहीं इस घटना पर पुलिस क्षेत्राधिकार से जब वसुली को लेकर जानकारी लिया गया तो उन्होंने इससे साफ तौर से इंकार करते हुए कहा कि जो आरोप लगाए जा रहे हैं वह निराधार हैं.
परिजनों के आरोपों में सच्चाई हैं. इससे साफ तौर से कसया पुलिस के कारनामे उनको सुर्खियों में लाकर खड़ा कर दिया गया है. अब देखने वाली बात होगी कि पूरे मामले में किस तरह की कार्रवाई होती है या पुलिस इसी तरह वसूली कर निर्दोष लोगों को जेल भेजती रहती है. सोमवार को सीओ कुन्दन सिंह मीडिया के सामने जब चोरी की घटना का खुलासा कर रहे थे तभी थाना परिसर में मौजूद आरोपित युवकों के परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया. परिजन चीख-चीख कर चिल्ला रहे थे कि पुलिस झूठ बोल रही है. हमारे निर्दोष बच्चों को फर्जी तरीके से फंसाकर जेल भेज रही है.
फर्जी मुकदमे में फंसाकर जेल भेजने का आरोप
आरोपी आर्यन मिश्रा की मौसी शशिकला, बहन सिमरन व आरोपित ऋषि गौतम के पिता खुबलाला ने कहा कि तीन दिन पूर्व पुलिस ने सोहल-सत्ररह युवकों को उनके घर से उठाकर थाने लेकर आई. उन्होंने आरोप लगाया कि 11 युवकों से मोटी रकम वसूलकर उन्हें छोड़ दिया गया. उन्होंने यह भी कहा कि एक दरोगा ने उन लोगों से भी पचास हजार रुपए की डिमांड किए थे, लेकिन आर्थिक तंगी होने के कारण हम लोगों ने पुलिस को रुपए देने में असमर्थता जताई. इसके बाद पुलिस हम लोगों के बच्चों को चोरी के आरोप में फर्जी मुकदमे में फंसाकर जेल भेज दी है. इस दौरान परिजन रोते-बिलखते रहे कुछ महिलाएं पुलिसकर्मियों के पैर पकड़कर न्याय की गुहार भी लगाती रही, परन्तु खाकी के लोगों ने उनकी एक न सुनी. थाने में गहमा-गहमी का महौल देख सीओ अपनी कुर्सी से उठकर गाड़ी में बैठ निकल गए. लगभग एक घंटे तक थाना परिसर परिजनों के आरोप- प्रत्यारोप से गरमाया रहा.
पुलिस के इस कारनामों के है चर्चा
विश्वस्त व विभागीय सूत्रों का दबे जुबान का कहना है कि तीन दिन पूर्व चोरी के मामले में 16 युवकों को पुलिस ने हिरासत में लिया था, जिसमे छह युवक नाबालिग थे. जांच-पड़ताल के बाद 11 युवकों को छोड़ दिया गया. छोडे गए युवकों के बारे में पूछने पर सूत्रों ने दबे जुबान प्रभावशाली दबाव व मोटी रकम वसूलने की बात कही. इस बात में कितनी सच्चाई है यह जांच का विषय है.
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