कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। शहर में पुलिस की मनमानी के चलते न सिर्फ एक विवाहिता 5 साल से न्याय के लिए भटक रही है, बल्कि पुलिस ने विवाहिता को परेशान करने कोर्ट को गुमराह करने से भी गुरेज नहीं किया। 5 साल पहले शादी के कुछ वक्त बाद पति से झगड़ा हुआ जिसका मामला थाने पहुंचा था। पुलिस ने विवाहिता के चालान में उसके शिकायती दस्तावेज पेश नहीं किए। साथ ही पुलिस ने 2019 में कोर्ट को झूठी जानकारी दी कि विवाहिता के सारे दस्तावेज नष्ट हो चुके हैं। विवाहिता ने सूचना का अधिकार अधिनियम ( RTI) के जरिए 2021 में इन दस्तावेजों की कॉपी निकाली तो प्रमाणित दस्तावजे मिल गया। शिकायत मिलने पर अब एसएसपी ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं

ग्वालियर के डबरा की रहने वाली एक युवती की अप्रैल 2017 में उज्जैन में शादी हुई थी। शादी के 7 महीने बाद ही पति ने प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। घर में झगड़ा हुआ और उसके बाद मामला पुलिस तक पहुंच गया। विवाहिता की शिकायत पर डबरा थाने में उसके पति और ससुराल वालों के खिलाफ बमुश्किल दहेज प्रताड़ना की FIR दर्ज हो पाई थी। लेकिन पुलिस ने इसमें भी हेरफेर कर अपने हिसाब से FIR दर्ज की। वहीं जब कोर्ट में चालान पेश करने की बारी आई तो पुलिस ने विवाहिता के आवेदनों को चालान के साथ पुट-अप नहीं किया। साल 2019 में इस मामले में कोर्ट ने रिपोर्ट तलब की तो डबरा SDOP ने कोर्ट को बताया कि विवाहिता के शिकायती दस्तावेज नष्ट हो चुके हैं। वहीं साल 2021 में विवाहिता ने RTI के जरिए इन्हीं सभी दस्तावेजों को निकलवाया तो सभी दस्तावेज प्रमाणित कर विवाहिता को उपलब्ध हो गए और फिर पूरा मामला कोर्ट की जानकारी में आया।

मामले की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने जांच के निर्देश दिए हैं। आला अधिकारी भी मानते हैं कि जब विवाहिता को उसके शिकायत दस्तावेज आरटीआई के जरिए पुलिस दफ्तर से ही मिले हैं। तो फिर 2019 में वह दस्तावेज नष्ट कैसे हो सकते हैं? कोर्ट में भी गलत जानकारी कैसे दी जा सकती है। यही वजह है कि आला अधिकारियों ने इस मामले में कोर्ट को गुमराह करने वाले पुलिस कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ जांच के निर्देश दिए हैं। इस मामले में एडिशनल एसपी स्तर के अधिकारी जांच करेंगे और जांच रिपोर्ट के आधार पर एसपी अगली कार्रवाई करेंगे।

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