पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। बिचौलियों की हर कोशिश नाकाम करने पुलिस भी रोज नए तरकीब इजातकर रही है. ट्रेक शूट व बल्ले लेकर मॉर्निंग वॉक पर निकले पुलिस कर्मियों ने धान से भरा वाहन को पकड़ने में सफलता पाई. इसके साथ ही अनुज्ञा के आड़ में चल रहे खेल पर भी कलेक्टर ने लगाम कसा है.
देवभोग इलाके में सीमावर्ती ओडिशा का धान का भारी खेप पहुंच जाता था, जिसे समर्थन मूल्य में खपा कर बिचौलिए व बोगस रकबे पर बेचने वाले किसान योजना से अवैध कमाई करते है. इस बार एक प्रशासन एक माह पूर्व अलर्ट हो गई. इलाका सीमा के तीन जिलों से घिरे होने के कारण बिचौलियों को पूरी तरह रोकना प्रशासन के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. 18 रास्तों पर चौकसी के बावजूद बिचौलिए धान पार करने की तरकीब निकाल रहे, उनकी हर चाल को मात भी दिया जा रहा है. अब तक देवभोग में 8 वाहनों की धर पकड़ कर लगभग 12 लाख रुपए धान की जब्ती की जा चुकी है.
स्पोर्ट्समैन बने पुलिस को मिली सफलता
18 चेक पोस्ट के अलावा सम्भावित छोटे रास्तों में पुलिस गश्त कर तस्करी रोकने की कोशिस कर रहे थे, लेकिन तस्करों ने बाइकर्स की रेकी शुरू कर दी, फिर मौका देख धान पार किया जा रहा था. पुलिस को भनक लगी तो बंधियामाल रास्ते पर स्पोर्ट्समैन बना कर बल्ला हाथ में रखे जवान भेज दिए. धान पार करने से पहले नवरंगपुर सीमा से बाइकर्स ने पहले रेकी भी की, लेकिन वह पुलिस की तरकीब से अनजान था. बाइकर्स के सिग्नल के बाद छोटा हाथी में 40 पैकेट धान भरकर धौराकोट रास्ते पर आया, जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया.
अनुज्ञा खेल पर कसा कलक्टर ने लगाम
धान तस्करी रोकने के अभियान में कुछ केस में ओडिशा के धान लाने वाले लाइसेंसी कारोबारी भी थे, लेकिन पकड़े जाने के बाद मंडी विभाग से अनुज्ञापत्र पेश कर कानूनी शिकंजे से छूट जाते थे. कलक्टर नीलेश क्षीरसागर ने समय सीमा की बैठक में मंडी विभाग को सीमावर्ती इलाके के कारोबारियों द्वारा कटवाए गए अनुज्ञा की जानकारी एसडीएम को देने कहा है. स्टॉक व तौल पत्रक के वेरिफिकेशन के बाद ही अनुज्ञा काटने के कड़े निर्देश भी कलेक्टर ने मंडी अफसरों को दिए. इस कदम से अनुज्ञा के आड़ में चल रहे खेल पर लगाम लगेगा.
बदनामी के डर से ग्रामीणों ने उठाया कदम
धान तस्करी को लेकर भले ही गांव में रहने वाले बिचौलिए व बोगस रकबा वाले को फायदा हो रहा हो, पर इस हरकत से गांव की बदनामी होते देख ग्रामीणों ने भी छोटे व कच्ची रास्ते को रोकने रास्तों में गढ्ढा कर दिया है. कैठपदर व कोदोभांठा इलाके में पेड़ काट कर उन अनुपयोगी रास्तों को चोक कर दिया है, जिसका उपयोग बिचोलिये कर रहे थे. कलक्टर ने इस धर पकड़ अभियान में जनभागीदारी की अपील की थी, जिसके बाद अब ग्रामीण भी सामने आ रहे हैं.
ओडिशा से धान आने के दो बड़ी वजह
ओड़िसा में ज्यादा उत्पादन पर खरीदी कम – कालाहाण्डी में मौजूद इंद्रावती सिंचाई परियोजना वहां के किसानों के लिए वरदान साबित हुई है. 80 फ़िसदी रकबा सिंचाई के लिए बिछाए गए केनाल के जद में आता है. रवि व खरीफ दोनों सीजन में उन्नत व तकनीकी खेती के कारण बंपर पैदावारी होती है. 20 से 25 क्विंटल प्रति एकड़ की औसत पैदावरी हो रही है. 1 दिसम्बर से ओडिशा में समर्थन मूल्य में खरीदी होनी है. खरीदी प्रक्रिया में राइस मिलर्स का भारी दखल होता है. भुगतान से लेकर कटौती तक में मिलर्स की मर्जी चलती है.
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ओडिशा में दिसम्बर के पहले सप्ताह से रवि फसल की तैयारी शुरू हो जाती है. ऐसे में नवम्बर माह में खरीफ फसल को बेचने की जल्दबाजी होती है. यही वजह है कि 1200 रुपए क्विंटल में धान को ओडिशा वाले छतीसगढ़ इलाके में खपाने के लिए सक्रिय बिचौलिए को बेच देते हैं.
बोगस रकबे का पंजीयन – इस खेल में छत्तीसगढ़ के किसानों का पंजीयन रकबा की भूमिका अहम है. गिरदावरी व पंजीयन के समय पटवारी व अन्य जिम्मेदार कर्मियों की मेहरबानी से कुछ लोग उन रकबा का पंजीयन कराने में सफल हो जाते हैं, जिनमें धान की पैदावरी ही नहीं होती. इसके अलावा कृषि की पुरानी व पारम्परिक पद्धति भी जिम्मेदार है, जिसके चलते यहां पैदावारी कम होती है. सरकार ने असिंचित रकबे में न्यूनतम 15 क्विंटल प्रति एकड़ खरीदी का प्रावधान किया है. ऐसे में इसकी भरपाई के लिए भी किसान बिचौलियों की मदद लेते हैं.
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